उच्च न्यायालय ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत मुकुल रॉय की विधानसभा सदस्यता रद्द की

कोलकाता, 13 नवंबर – कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय की पश्चिम बंगाल विधानसभा सदस्यता दल-बदल विरोधी कानून के तहत रद्द कर दी। यह देश में पहली बार है जब किसी उच्च न्यायालय ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए किसी निर्वाचित विधायक को दल-बदल कानून (1985 में संविधान के 52वें संशोधन के तहत लागू) के आधार पर अयोग्य घोषित किया है।

मुकुल रॉय मई 2021 में कृष्णानगर उत्तर सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे, लेकिन मात्र एक माह बाद, जून 2021 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में वापसी कर ली थी।

न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने भाजपा नेता और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी तथा विधायक अंबिका रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया। अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के उस आदेश को ‘‘विकृत’’ करार दिया, जिसमें उन्होंने रॉय को भाजपा विधायक माना था और दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराने की याचिका खारिज कर दी थी।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मुकुल रॉय ने 11 जून, 2021 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में औपचारिक रूप से टीएमसी में शामिल होने की घोषणा की थी। यह कार्यक्रम टीएमसी द्वारा आयोजित था और इसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं। इस घोषणा की तस्वीरें और वीडियो पार्टी के आधिकारिक ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) हैंडल से साझा किए गए थे।

अदालत ने कहा कि इस घटना के बाद से रॉय की विधानसभा सदस्यता 11 जून, 2021 से ही अयोग्य मानी जाएगी। अदालत ने साथ ही उन्हें विधानसभा की लोक लेखा समिति (PAC) के अध्यक्ष पद से भी अयोग्य घोषित कर दिया, क्योंकि यह पद विपक्षी दल के सदस्य के पास होना चाहिए।

भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस फैसले को “संविधान की जीत और सत्य की विजय” बताया। उन्होंने कहा, “मैं पिछले चार वर्षों से इस लड़ाई को लड़ रहा था। ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद कई विपक्षी विधायकों को तोड़ा गया, लेकिन भाजपा ने आखिरकार यह ऐतिहासिक जीत हासिल की।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इसी तरह पार्टी बदलने वाले अन्य विधायक — तन्मय घोष, तापसी मंडल और सुमन कांजीलाल — के खिलाफ भी वह कानूनी कार्रवाई करेंगे।

टीएमसी प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने भाजपा पर ‘‘राजनीतिक पाखंड’’ का आरोप लगाते हुए कहा कि शुभेंदु अधिकारी के अपने परिवार में भी दलबदलू मौजूद हैं। उन्होंने कहा, “अगर भाजपा इतनी ईमानदार है तो बताए कि उसने गोवा और महाराष्ट्र में सत्ता कैसे हासिल की? न्यायपालिका अगर सभी राज्यों में इसी तरह निष्पक्ष भूमिका निभाए, तो राजनीति में नई मिसाल कायम हो सकती है।”

अदालत ने यह भी कहा कि अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने कानून की गलत व्याख्या करते हुए 8 जून, 2022 को गलत फैसला सुनाया था और तथ्यों का सही आकलन नहीं किया। अब इस फैसले के बाद कृष्णानगर उत्तर सीट रिक्त हो गई है, हालांकि अधिकारियों ने संकेत दिया है कि उपचुनाव की संभावना नहीं है क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले हैं।

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