प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों को हटाने के प्रावधान वाले विधेयकों पर विचार के लिए संसद में 31 सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन, अपराजिता सारंगी अध्यक्ष

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहने की स्थिति में पद से हटाने के प्रावधान वाले तीन विधेयकों पर विचार करने के लिए बुधवार को संसद में 31 सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया गया। इस समिति की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद अपराजिता सारंगी करेंगी।

लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी बुलेटिन में बताया गया कि समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपराजिता सारंगी को समिति का प्रमुख नियुक्त किया है। विपक्ष के चार सांसद भी इस समिति का हिस्सा हैं।

समिति में लोकसभा के भाजपा सांसदों में अपराजिता सारंगी, रविशंकर प्रसाद, भर्तृहरि महताब, प्रदन बरुआ, बृजमोहन अग्रवाल, विष्णु दयाल राम, पुरुषोत्तम रुपाला और अनुराग ठाकुर शामिल हैं। इसके अलावा राजग के घटक जनता दल (यूनाइटेड) के देवेश चंद्र ठाकुर, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के लावु श्रीकृष्णा, शिवसेना से धैर्यशील माने, जनसेना पार्टी के बालाशौरी वल्लभनेनी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के इंद्र हंग सुब्बा, राकांपा (एसपी) के सुनील तटकरे, जनता दल (सेक्युलर) के मल्लेश बाबू, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल की ज्योत्सना बासुमातरी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राजेश वर्मा को भी सदस्य बनाया गया।

कई प्रमुख विपक्षी दलों जैसे कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने समिति में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया, लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन की घटक राकांपा (एसपी) ने इसमें हिस्सा लेने का फैसला किया और सुप्रिया सुले को समिति में शामिल किया गया। इसके अलावा आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी, शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य निरंजन रेड्डी को भी समिति में जगह दी गई।

राज्यसभा के दस सदस्यों में भाजपा के बृजलाल, उज्ज्वल निकम, नीरज शेखर, मनन कुमार मिश्रा और के. लक्ष्मण शामिल हैं। इसके अलावा मनोनीत राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति, असम गण परिषद के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य, अन्नाद्रमुक के सीवी शनमुगम और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के निरंजन रेड्डी को भी समिति में जगह दी गई।

गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले मानसून सत्र के अंत में विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच सदन में ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए थे। बाद में सदन ने निर्णय लिया कि इन तीनों विधेयकों पर विस्तृत विचार के लिए इन्हें संयुक्त समिति को भेजा जाए।

यह समिति अब विधेयकों के प्रावधानों, उनके प्रभाव और संबंधित कानूनी तथा संवैधानिक पहलुओं का अध्ययन करेगी। समिति के सुझावों के आधार पर आगे विधायिका में विधेयकों पर अंतिम विचार-विमर्श और निर्णय किया जाएगा।

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