चीन ने ट्रंप के ‘गुप्त परमाणु परीक्षण’ के दावे को बताया झूठ, अमेरिका से संयम बरतने की अपील

बीजिंग ने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि चीन गुप्त रूप से परमाणु हथियारों के परीक्षण कर रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार (3 नवंबर) को जारी बयान में कहा कि ट्रंप का यह आरोप “पूरी तरह झूठा” है और बीजिंग अपने परमाणु परीक्षणों पर लगाए गए प्रतिबंध का सख्ती से पालन करता है।

ट्रंप ने रविवार को सीबीएस को दिए साक्षात्कार में कहा था कि रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान जैसे देश गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका को भी अपना परमाणु परीक्षण कार्यक्रम दोबारा शुरू करना चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन “आत्मरक्षात्मक परमाणु रणनीति” अपनाता है और “पहले परमाणु हथियार न इस्तेमाल करने” की नीति पर कायम है।

माओ ने ग्लोबल टाइम्स के हवाले से कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में चीन ने कभी भी परमाणु हथियारों के प्रसार या परीक्षण को बढ़ावा नहीं दिया। हम व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT) का समर्थन करते हैं और उसका पालन करते हैं।” उन्होंने अमेरिका से अपील की कि वह भी इस संधि के तहत अपने दायित्वों का सम्मान करे और “वैश्विक स्थिरता बनाए रखने में योगदान दे।”

ट्रंप ने इंटरव्यू में कहा था, “रूस और चीन परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन कोई इस पर बात नहीं करता। हम अकेले ऐसे देश हैं जो नहीं कर रहे, इसलिए हमें भी करना होगा।” उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के पास दुनिया में सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं और उसकी क्षमता इतनी है कि “दुनिया को 150 बार नष्ट किया जा सकता है।”

चीन की प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब रूस और अमेरिका के बीच परमाणु हथियार नियंत्रण समझौतों पर तनाव बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप की यह टिप्पणी वैश्विक परमाणु संतुलन पर नई बहस को जन्म दे सकती है। वहीं, बीजिंग ने स्पष्ट किया है कि उसका उद्देश्य “वैश्विक निरस्त्रीकरण और स्थिरता” बनाए रखना है, न कि परमाणु प्रतिस्पर्धा में शामिल होना।

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