यूक्रेन ने रूस के प्रमुख गैस संयंत्र पर ड्रोन से किया हमला, क्षेत्रीय ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित

कीव, 20 अक्टूबर — यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच एक नया मोड़ तब आया जब यूक्रेन ने दक्षिणी रूस स्थित ओरेनबर्ग गैस प्रसंस्करण संयंत्र पर ड्रोन हमला किया। यह संयंत्र रूस की सरकारी स्वामित्व वाली गैस कंपनी गैज़प्रोम द्वारा संचालित किया जाता है और कजाकिस्तान की सीमा के नजदीक स्थित है। इस हमले से संयंत्र में आग लग गई, जिससे इसकी एक कार्यशाला को नुकसान पहुंचा और गैस आपूर्ति पर भी असर पड़ा।

यूक्रेनी जनरल स्टाफ ने रविवार को दावा किया कि हमले के कारण संयंत्र की एक गैस प्रसंस्करण और शोधन इकाई क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे “बड़े पैमाने पर आग” फैल गई। कजाकिस्तान के ऊर्जा मंत्रालय ने गैज़प्रोम द्वारा जारी अधिसूचना का हवाला देते हुए पुष्टि की कि संयंत्र अब अस्थायी रूप से कजाकिस्तान से आने वाली गैस का प्रसंस्करण नहीं कर पा रहा है।

ओरेनबर्ग संयंत्र दुनिया के सबसे बड़े गैस उत्पादन और प्रसंस्करण परिसरों में से एक है, जिसकी वार्षिक क्षमता लगभग 45 अरब घन मीटर है। यह संयंत्र न केवल रूस के तेल और गैस क्षेत्रों से, बल्कि कजाकिस्तान के कराचागानक क्षेत्र से भी गैस को प्रोसेस करता है।

इसके साथ ही, यूक्रेन ने समारा क्षेत्र के नोवोकुइबिशेवस्क स्थित एक प्रमुख तेल शोधन संयंत्र पर भी ड्रोन हमला करने का दावा किया है। यह संयंत्र रूसी कंपनी रोसनेफ्ट द्वारा संचालित होता है और सालाना 49 लाख टन तेल शोधन की क्षमता रखता है। यूक्रेन का कहना है कि हमले में इसकी मुख्य इकाइयों को नुकसान पहुंचा है, हालांकि रूसी अधिकारियों ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है।

रूस के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि शनिवार रात उसके वायु रक्षा बलों ने यूक्रेन के 45 ड्रोन मार गिराए, जिनमें 12 समारा, 11 सारातोव और एक ओरेनबर्ग क्षेत्र में गिराए गए।

इधर, यूक्रेनी अभियोजकों ने आरोप लगाया कि रूस अब नागरिक इलाकों को निशाना बनाने के लिए नए प्रकार के रॉकेट-चालित हवाई बमों का इस्तेमाल कर रहा है। खार्किव क्षेत्र में लोज़ावा शहर पर ऐसे ही एक बम — यूएमपीबी-5आर — से हमला किया गया, जिसकी मारक क्षमता 130 किलोमीटर तक है।

वर्तमान घटनाक्रम यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष को और जटिल बना रहे हैं। जहां यूक्रेन सैन्य व औद्योगिक ठिकानों पर हमले तेज कर रहा है, वहीं रूस नई तकनीकों के जरिए जवाबी कार्रवाई कर रहा है। दोनों पक्षों के दावों के बीच सच्चाई की पुष्टि करना चुनौती बना हुआ है, लेकिन यह साफ है कि युद्ध अब ऊर्जा अवसंरचना को विशेष रूप से निशाना बना रहा है, जिसका असर क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर पड़ सकता है।

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