असम में घुसपैठ रुकी, लेकिन प. बंगाल में अवैध प्रवासियों का ‘रेड कार्पेट बिछाकर’ स्वागत हो रहा: शाह

पटना, 18 अक्टूबर  — केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि भाजपा-शासित असम में घुसपैठ रुक गई है, जबकि पड़ोसी पश्चिम बंगाल में यह अभी भी जारी है और वहां की सरकार अवैध प्रवासियों का “रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत” कर रही है। शाह यह दावा पटना में समाचार चैनल एबीपी न्यूज और दैनिक हिंदुस्तान के संयुक्त कार्यक्रम में बोलते हुए किए।

शाह ने कहा, “यह अचंभे की बात है कि विपक्ष निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू की गई उस प्रक्रिया पर आपत्ति जता रहा है, जिसका उद्देश्य घुसपैठियों को बाहर करना है। मैं एसआईआर प्रक्रिया का पूरी तरह समर्थन करता हूं। यह आखिर में पूरे देश में लागू की जाएगी।” उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को घुसपैठियों की पहचान और हटाने का साधन बताया।

केंद्रीय मंत्री ने नरेन्द्र मोदी सरकार पर 11 साल के शासन के दौरान भी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर विपक्षी सवालों का प्रत्युत्तर देते हुए कहा कि बांग्लादेश सीमा पर घने जंगल, विशाल नदियाँ और बाढ़ के कारण लगातार चौबीस घंटे निगरानी रखना लगभग असंभव है। उन्होंने आरोप लगाया कि “स्थानीय थाने और पटवारी” उन घुसपैठियों की जानकारी होते हुए भी चुप रहते हैं क्योंकि “उपर से आदेश मिला है कि इन घुसपैठियों का ‘रेड कार्पेट’ बिछाकर स्वागत करो।”

पश्चिम बंगाल के मतदाताओं से उन्होंने अपील करते हुए कहा कि वे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार को सत्ता से बाहर करें। शाह ने कहा, “हम राज्य से हर एक घुसपैठिए को बाहर निकाल देंगे।”

राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता अब “वोट चोरी” की बात कहने से पीछे हट गए हैं। शाह ने आरोप लगाया कि राहुल की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान यह मुद्दा गायब रहा और संभवतः बिहार की जनता ने उन्हें पीछे हटने पर मजबूर किया। उन्होंने कांग्रेस के उस दावे को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि एसआईआर का उद्देश्य बड़ी संख्या में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना है।

शाह ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक के विरोध पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें किसी भी मंत्री को 30 दिन या उससे अधिक जेल में रहने पर पद से हटाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि जब उनके खिलाफ मामला अदालत में था तो उन्होंने स्वयं इस्तीफा दे दिया था और तब तक कोई पद स्वीकार नहीं किया जब तक उन्हें बरी नहीं किया गया। शाह ने कहा कि यह विधेयक “विपक्षी दलों की सरकारों को अस्थिर करने” की साजिश नहीं है और विपक्ष को डरने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के मुद्दों पर शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद आतंकवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर में “महत्वपूर्ण परिवर्तन” आया है और “पिछले नौ माह में कोई स्थानीय आतंकवादी भर्ती नहीं हुआ है।” उन्होंने दावा किया कि पंचायत व नगर निकाय चुनाव संपन्न हो चुके हैं और “समय आने पर” राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। लद्दाख में हालिया हिंसा के संदर्भ में शाह ने कहा कि केंद्र क्षेत्र की दोनों संस्थाओं — लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस — से बातचीत कर रहा है और उनकी “सभी उचित मांगों का समाधान” किया जाएगा। सोनम वांगचुक के गिरफ्तारी मामले पर उन्होंने कहा कि वह अदालत के समक्ष विचाराधीन है और वहां साक्ष्यों के आधार पर निर्णय होगा।

माओवादी उग्रवाद के खिलाफ सरकार की कार्रवाई का हवाला देते हुए शाह ने कहा कि 11 साल में कम से कम 600 माओवादी शिविर ध्वस्त किए गए हैं, उनके वित्तीय स्रोत बंद किए गए और हथियारों तक उनकी पहुंच रोकी गई। उन्होंने घोषणा की कि 31 दिसंबर, 2026 तक देश से नक्सल पूरी तरह समाप्त कर दिए जाएंगे।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *