भारत–अमेरिका व्यापार वार्ता फिर शुरू, ऊर्जा और निवेश पर रहेगा जोर

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच इस सप्ताह फिर से उच्चस्तरीय व्यापार वार्ता शुरू होने जा रही है। यह बातचीत नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच आर्थिक सहयोग को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है। दोनों देशों के बीच यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब वैश्विक व्यापार पर भू-राजनीतिक तनाव, ऊर्जा संकट और तकनीकी प्रतिस्पर्धा के गहरे असर दिख रहे हैं।सूत्रों के अनुसार, भारत इस वार्ता में ऊर्जा आयात, व्यापार संतुलन, निवेश सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देगा। भारत अमेरिकी कंपनियों से कच्चे तेल, गैस और हरित ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की मांग कर सकता है। वहीं अमेरिका की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकार, डिजिटल व्यापार नियम और टैरिफ बाधाओं पर बातचीत की संभावना है।पिछले कुछ वर्षों में भारत–अमेरिका व्यापार संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2024–25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 190 अरब डॉलर के करीब पहुंच चुका है, जो एक दशक पहले के मुकाबले लगभग दोगुना है। भारत अमेरिका का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है। रक्षा, डिजिटल तकनीक, एयरोस्पेस और फार्मा सेक्टर में भी दोनों देशों की साझेदारी तेजी से मजबूत हो रही है। भारत सरकार का मानना है कि ऊर्जा क्षेत्र में अमेरिकी सहयोग से देश की आत्मनिर्भरता और स्थिरता को बल मिलेगा। वहीं, अमेरिका के लिए भारत एक उभरता हुआ बड़ा बाजार है, खासकर सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों में। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वार्ता दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को कम करने और नए निवेश अवसरों को खोलने में अहम भूमिका निभा सकती है। इसके अलावा, भारत इंडो-पैसिफिक आर्थिक ढांचे (IPEF) के तहत भी अमेरिका के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत करना चाहता है। हाल के महीनों में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए अमेरिका एशियाई देशों के साथ साझेदारी बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है, जिसमें भारत की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा जिसमें ऊर्जा सहयोग, हरित निवेश और डिजिटल कनेक्टिविटी पर सहमति बनने की संभावना है। व्यापार मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस वार्ता से भारत–अमेरिका संबंधों को एक नई आर्थिक गहराई मिलेगी और आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार 250 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

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