शिमला, 12 अक्टूबर । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को 1984 में हुए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि यह स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को निकालने का सही तरीका नहीं था और इस फैसले की कीमत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
हिमाचल प्रदेश के कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव के दौरान पत्रकार और लेखिका हरिंदर बावेजा की पुस्तक ‘दे विल शूट यू मैडम: माई लाइफ थ्रू कॉन्फ्लिक्ट’ के विमोचन पर चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा, “सभी आतंकवादियों को पकड़ने के लिए कोई और तरीका हो सकता था। ऑपरेशन ब्लू स्टार गलत तरीका था और मैं मानता हूं कि श्रीमती गांधी को इस गलती की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी।”
हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह फैसला सेना, खुफिया विभाग, पुलिस और नागरिक सुरक्षा एजेंसियों का सामूहिक निर्णय था, इसलिए इंदिरा गांधी को पूरी तरह दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
चिदंबरम ने आगे कहा कि 1984 की कार्रवाई के मुकाबले 1986 और 1988 में स्वर्ण मंदिर परिसर में चलाए गए ऑपरेशन ब्लैक थंडर अधिक संतुलित और प्रभावी थे क्योंकि उनमें सेना का इस्तेमाल नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन ब्लैक थंडर सही तरीका था, जो बाद में अपनाया गया।”
इस मौके पर लेखिका हरिंदर बावेजा ने भी ऑपरेशन ब्लू स्टार की आलोचना करते हुए कहा कि इसने पंजाब में हिंसा के एक नए दौर की शुरुआत की। उन्होंने आरोप लगाया कि इंदिरा गांधी ने राजनीति में धार्मिक तत्वों को मिलाकर भिंडरावाले को बढ़ावा दिया, ताकि वह अकालियों पर दबाव बना सकें। हालांकि चिदंबरम ने इस दावे का विरोध करते हुए कहा, “मैं नहीं मानता कि श्रीमती गांधी ने भिंडरावाले को खड़ा किया था। यह कहना उचित नहीं है।”
कार्यक्रम में कश्मीर मुद्दे पर भी चर्चा हुई। बावेजा ने कहा कि कश्मीरियों को बहुत पहले ही समझ में आ गया था कि पाकिस्तान उनका केवल इस्तेमाल कर रहा है। इस पर चिदंबरम ने कहा कि “कश्मीर की एक और कहानी है, जो हर शाम टीवी पर दिखाई जाने वाली कहानी से अलग है।”
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि चिदंबरम के बयान से कांग्रेस नेतृत्व नाराज है और उनका मानना है कि वरिष्ठ नेताओं को ऐसे संवेदनशील विषयों पर बयान देने से पहले सतर्कता बरतनी चाहिए जिससे पार्टी के लिए शर्मिंदगी की स्थिति न उत्पन्न हो।
