भारत सरकार ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपना पूर्ण दूतावास फिर से स्थापित करने की योजना बनाई है। फिलहाल भारत वहाँ एक तकनीकी मिशन के रूप में सीमित उपस्थिति बनाए हुए है, जो मानवीय सहायता और राजनयिक संपर्कों तक सीमित है। अब इसे पूर्ण राजनयिक मिशन में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह फैसला भारत की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में स्थिरता और सुरक्षा के लिए भारत अपनी भूमिका को मजबूत करना चाहता है। अफगानिस्तान में तालिबान शासन के सत्ता में आने के बाद भारत ने 2021 में अपना दूतावास बंद कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी भारत ने मानवीय सहायता जारी रखी — जिसमें गेहूं, दवाइयाँ और कोविड वैक्सीन की आपूर्ति शामिल थी। नई योजना के तहत, भारत काबुल में सीमित स्तर से शुरू करते हुए राजनयिक उपस्थिति को धीरे-धीरे बढ़ाएगा। इसमें वीजा सेवाएँ, शैक्षिक संपर्क और व्यापारिक संबंधों को फिर से सक्रिय किया जाएगा। इस कदम को अफगानिस्तान के साथ “व्यावहारिक सहयोग” की दिशा में एक अहम बदलाव माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे न केवल काबुल के साथ संपर्क मजबूत होगा, बल्कि पाकिस्तान और चीन के बढ़ते प्रभाव को भी संतुलित किया जा सकेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत की प्राथमिकता अफगान जनता की भलाई और स्थिरता है। आने वाले महीनों में इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की संभावना है।
भारत काबुल में दूतावास फिर से खोलने की तैयारी में, अफगान संबंधों में नया अध्याय
