इस साल का करवा चौथ बेहद खास माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, करीब 200 साल बाद ऐसा अनूठा ग्रह संयोग बन रहा है, जब करवा चौथ के दिन चंद्रमा कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि, शुभ नक्षत्र और सौम्य योग में उदय हो रहा है। इस विशेष योग को सुहागिनों के लिए अत्यंत मंगलकारी माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों—प्रयागराज, लखनऊ, बरेली, आगरा, गाजियाबाद, वाराणसी और कानपुर—में महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। सुबह से ही महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना की है। बाजारों में सजावट, मेहंदी और साज-सज्जा के सामान की खरीदारी को लेकर रौनक बनी रही। शाम को मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ। ज्योतिषियों के अनुसार, आज प्रयागराज और वाराणसी में चांद का दर्शन रात 8:42 बजे, लखनऊ और कानपुर में 8:45 बजे, जबकि आगरा और गाजियाबाद में 8:47 बजे के आसपास होगा। महिलाएं चंद्रमा को छलनी से देखकर अर्घ्य देंगी और फिर पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलेंगी। करवा चौथ की पूजा विधि में करवे (मिट्टी के कलश) में जल भरकर, उसमें सिंदूर, चावल और दक्षिणा रखी जाती है। भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। इस वर्ष का यह पर्व न सिर्फ भावनात्मक रूप से खास है, बल्कि ग्रह स्थिति के कारण भी अत्यंत शुभ फलदायी बताया जा रहा है। चांद के दीदार के साथ ही महिलाओं के चेहरे पर खुशी झलक उठी — करवा चौथ का यह पावन व्रत प्रेम, विश्वास और आस्था का प्रतीक बनकर देशभर में मनाया जा रहा है।
