संवाददाता बाराबंकी | गांधी जयंती सप्ताह के छठे दिन गांधी भवन परिसर में आयोजित निबंध लेखन एवं रंगोली प्रतियोगिता ने बच्चों में गांधीवादी विचारों की चेतना को नई ऊर्जा दी। बच्चों की सृजनात्मक प्रतिभा और नैतिक मूल्यों पर आधारित प्रस्तुति ने न केवल दर्शकों को प्रभावित किया, बल्कि यह आयोजन सामाजिक समरसता और जागरूकता का भी प्रतीक बना।
कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व सांसद डॉ. पी.एल. पुनिया, समाजसेविका सुधा रानी वर्मा और नगर पालिका अध्यक्ष शीला सिंह वर्मा ने महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।

डॉ. पुनिया ने कहा, “गांधीजी का जीवन और विचार भारत की आत्मा हैं। यदि हम विकास की बात करते हैं, तो उसकी नींव गांधी के सिद्धांतों पर ही टिकी होनी चाहिए।” वहीं अरविंद गोप ने गांधी ट्रस्ट की इस पहल को “प्रेरणास्पद” बताते हुए बच्चों को गांधी और लोहिया के विचारों से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस मौके पर गांधी ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष पं. राजनाथ शर्मा ने समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए विशिष्ट जनों को सम्मानित किया।
डॉ. पी.एल. पुनिया को ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’
सुधा रानी वर्मा को ‘अरुणा आसफ अली नारी शक्ति अवार्ड’
शीला सिंह वर्मा को ‘महात्मा गांधी जनसेवा अवार्ड’ प्रदान किया गया।
प्रतियोगिता परिणाम:
रंगोली प्रतियोगिता:
जूनियर वर्ग: प्रथम – पायनियर मांटेसरी हाई स्कूल, द्वितीय – जमील उर रहमान किदवई इस्लामिया गर्ल्स कॉलेज, तृतीय – पायनियर मांटेसरी हाई स्कूल
सीनियर वर्ग: प्रथम – जमील उर रहमान किदवई इस्लामिया गर्ल्स कॉलेज, द्वितीय – पीएम श्री राजकीय इंटर कॉलेज, तृतीय – सिटी इंटर कॉलेज
निबंध लेखन प्रतियोगिता:
जूनियर वर्ग: शनाया सिद्दीकी (प्रथम), शिवम शर्मा (द्वितीय), शाश्वत वर्मा (तृतीय)
सीनियर वर्ग: रशा बानो (प्रथम), अस्मित कुमार वर्मा (द्वितीय), अंकुर (तृतीय)
निर्णायक मंडल में सुधा वर्मा, शीला वर्मा, विनय कुमार सिंह और बाबू जमील उर रहमान शामिल रहे।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे जिनमें सरिता शर्मा, राधामणि शर्मा, सुनीता देवी, हुमायूं नईम खान, विजय कुमार सिंह मुन्ना, मोहम्मद फैसल, नीरज दूबे सहित कई शिक्षाविद, समाजसेवी और स्थानीय नागरिक शामिल थे।
गांधी ट्रस्ट की यह पहल जिले में बाल प्रतिभाओं को प्रेरित करने, सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने और गांधीवादी मूल्यों की पुनर्स्थापना की दिशा में एक प्रभावशाली कदम सिद्ध हो रही है।
