मध्य प्रदेश और राजस्थान में ‘Coldrif’ कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तुरंत जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में सिरप में अत्यधिक मात्रा में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) पाया गया, जो एक जहरीला रासायनिक पदार्थ है और किडनी फेल होने का कारण बन सकता है। इसके सेवन से बच्चों की जान पर गंभीर खतरा पैदा होता है।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 11 बच्चों की मौत के बाद राज्य सरकार ने इस सिरप और इसे बनाने वाली कंपनी Sresan Pharmaceuticals के सभी उत्पादों की बिक्री पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया। स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और मामले की विशेष जांच टीम गठित की गई है। वहीं राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत की खबर के बाद राज्य सरकार ने सिरप की बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है। केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे अन्य राज्यों ने भी एहतियातन इस सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को चेतावनी दी है कि बच्चों को दो वर्ष से कम उम्र में कफ सिरप न दिया जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि DEG आमतौर पर औद्योगिक उत्पादों में पाया जाता है और दवाओं में इसकी मौजूदगी गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकती है।
इस मामले में मध्य प्रदेश के एक डॉक्टर डॉ. प्रवीण सोनी को भी गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने बच्चों को यह सिरप प्रिस्क्राइब किया था। उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और जांच जारी है।
घटना ने दवा उद्योग में गुणवत्ता नियंत्रण और नियामक निगरानी की आवश्यकता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए कड़े नियामक उपायों और सख्त जांच की आवश्यकता है।
इस घटना ने न केवल मध्य प्रदेश और राजस्थान में बल्कि पूरे देश में दवा सुरक्षा और बच्चों की सुरक्षा पर चिंता बढ़ा दी है।
