नई दिल्ली, 4 अक्टूबर – कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों दक्षिण अमेरिकी देशों के दौरे पर हैं। कोलंबिया, ब्राज़ील, पेरू और चिली की दस दिवसीय यात्रा के दौरान उन्होंने कहा कि “आशा की एक सार्वभौमिक भाषा होती है और गरिमा तथा लोकतंत्र के लिए संघर्ष पूरी दुनिया में एक जैसा है।”
राहुल गांधी ने अपने यूट्यूब चैनल पर यात्रा की झलकियाँ साझा करते हुए लिखा कि कोलंबिया के कोमुनास की सजीव गलियों और मेडेलिन विश्वविद्यालय की कक्षाओं से लेकर पेरू की राजधानी लीमा में छात्रों के साथ संवाद तक, यह दौरा उम्मीद, गर्मजोशी और विचारों के आदान-प्रदान से भरा हुआ रहा।
उन्होंने कहा, “मैंने ऐसे कलाकारों से मुलाकात की जो रंगों और कला को प्रतिरोध के रूप में इस्तेमाल करते हैं, और ऐसे छात्रों से भी मिला जो बिना डरे सपने देखने का साहस रखते हैं। उनकी रचनात्मकता और साहस सचमुच प्रेरणादायक हैं।”
राहुल गांधी के इस दौरे का उद्देश्य न केवल सांस्कृतिक अनुभव हासिल करना है, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और लोकतांत्रिक मूल्यों पर वैश्विक विमर्श को मजबूत करना भी है। इस यात्रा के दौरान उनकी दक्षिण अमेरिका के शीर्ष नेताओं, छात्रों और उद्यमियों से मुलाकातें निर्धारित हैं।
कांग्रेस पार्टी के मुताबिक, गांधी यात्रा के दौरान विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात करेंगे, जिससे भारत के लोकतांत्रिक और रणनीतिक संबंधों को बल मिलेगा।
अपने दौरे के तहत कोलंबिया के मेडेलिन स्थित ईआईए विश्वविद्यालय में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि “भारत में वर्तमान समय में लोकतांत्रिक व्यवस्था पर व्यापक हमला हो रहा है, लेकिन यह जोखिम ऐसा है जिससे हमें उबरना होगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को एक ऐसा देश बनाना है जहां विविध परंपराओं को विकसित होने का अवसर मिले, “हम चीन की तरह अधिनायकवादी व्यवस्था नहीं बना सकते, जहां लोगों की आवाज को दबाया जाता है।”
राहुल गांधी का यह अंतरराष्ट्रीय दौरा, भारत में विपक्ष की भूमिका और लोकतंत्र को लेकर उनके वैश्विक दृष्टिकोण को सामने लाता है।
