नयी दिल्ली, 31 दिसंबर। वर्ष 2025 शिक्षा क्षेत्र के लिए नीतिगत बदलावों और तकनीकी नवाचारों का साल रहा। इस दौरान जहां उच्च शिक्षा को एकल नियामक के दायरे में लाने की दिशा में ठोस पहल की गई, वहीं पठन-पाठन और प्रशासन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस्तेमाल को भी व्यापक बढ़ावा मिला। इसके साथ ही छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं की पृष्ठभूमि में उनके मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़े मुद्दों पर भी गंभीर ध्यान दिया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू हुए पांच वर्ष पूरे होने के बाद केंद्र सरकार ने इससे जुड़े लंबित प्रस्तावों को कानून का रूप देने की प्रक्रिया तेज की। उच्च शिक्षा में संरचनात्मक सुधार के तहत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) से जुड़े विधेयक पर इस वर्ष उल्लेखनीय प्रगति हुई। कई दौर के विचार-विमर्श के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी, जिससे शीतकालीन सत्र में संसद में इसके पेश होने का मार्ग प्रशस्त हुआ। बाद में इसका नाम बदलकर ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण (वीबीएसए) विधेयक, 2025’ कर दिया गया।
इस विधेयक का उद्देश्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को एक एकल नियामक के अंतर्गत लाना है, ताकि उच्च शिक्षा में मानक निर्धारण, मान्यता और विनियमन को सरल एवं सुव्यवस्थित किया जा सके। सरकार का तर्क है कि इससे आदेशों की पुनरावृत्ति रुकेगी और विश्वविद्यालयों व कॉलेजों पर अनुपालन का बोझ कम होगा। हालांकि, आलोचकों ने इसे अत्यधिक केंद्रीकरण बताते हुए राज्य सरकारों की स्वायत्तता और स्थानीय आवश्यकताओं की अनदेखी का खतरा जताया।
वर्ष 2025 में परीक्षा सुधार भी शिक्षा नीति का एक अहम केंद्र रहा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कक्षा 10वीं के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की व्यवस्था शुरू की। वहीं, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षाओं में कथित पेपर लीक की घटनाओं के बाद राधाकृष्णन समिति की सिफारिशों के आधार पर कई बदलाव किए गए।
इसके बावजूद, परीक्षा से जुड़ा तनाव छात्रों के लिए एक बड़ी चुनौती बना रहा। एक संसदीय समिति ने प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के दबावपूर्ण माहौल और तेजी से फैलते कोचिंग सेंटर तंत्र की समीक्षा की योजना की घोषणा की। इसी क्रम में सीबीएसई ने ‘फर्जी स्कूलों’ के खिलाफ अचानक निरीक्षण कर सख्त कार्रवाई भी तेज की।
छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं, विशेषकर कोटा और विभिन्न इंजीनियरिंग व मेडिकल परिसरों में सामने आए मामलों को देखते हुए, उच्चतम न्यायालय ने संदिग्ध आत्महत्याओं के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य किया। साथ ही, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यबल का गठन किया गया। इस टीम ने व्यवस्थागत तनाव के कारणों की पहचान के लिए एक विशेष पोर्टल और राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण शुरू किया तथा परिसरों में समान मानसिक स्वास्थ्य नीतियों और प्रशिक्षित परामर्शदाताओं की उपलब्धता पर जोर दिया।
इस वर्ष शिक्षा क्षेत्र का सबसे परिवर्तनकारी रुझान पठन-पाठन और प्रशासन में एआई का व्यापक उपयोग रहा। प्रतिष्ठित संस्थानों से लेकर सरकारी कॉलेजों तक, एआई को व्यक्तिगत फीडबैक, ट्यूशन, स्वचालित मूल्यांकन और पाठ्यक्रम डिजाइन जैसे कार्यों में शामिल किया गया। शिक्षा मंत्रालय ने 2025-26 के केंद्रीय बजट में विशेष आवंटन के साथ शिक्षा के लिए एआई उत्कृष्टता केंद्र की घोषणा की, जिसका उद्देश्य अध्यापक प्रशिक्षण को मजबूत करना, उच्च शिक्षा संस्थानों में एआई प्रयोगशालाओं की स्थापना और उद्योग के साथ एआई अनुसंधान व कौशल विकास में साझेदारी को बढ़ावा देना है।
उद्योग रिपोर्टों के अनुसार, अधिकांश उच्च शिक्षा संस्थानों ने रणनीतिक एआई नीतियां अपना ली हैं और जनरेटिव एआई टूल्स का उपयोग ट्यूशन तथा प्रशासनिक कार्यों में तेजी से बढ़ रहा है। स्कूल स्तर पर भी विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और एनसीईआरटी ने प्रारंभिक कक्षाओं से एआई साक्षरता और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग को पाठ्यक्रम में शामिल करने की दिशा में कदम उठाए हैं, जबकि माध्यमिक कक्षाओं के लिए विशेष पाठ्यपुस्तकें और रूपरेखाएं तैयार की जा रही हैं।
