भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में भगवान राम के आदर्शों का किया पालन: राजनाथ सिंह

अयोध्या, 31 दिसंबर । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भगवान राम के आदर्शों और मर्यादाओं के अनुरूप कार्य किया। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को एक “महान इतिहास” बताते हुए कहा कि इस आंदोलन ने न केवल अतीत को प्रभावित किया, बल्कि वर्तमान को दिशा दी और भविष्य की नींव रखी।

सिंह बुधवार को राम मंदिर परिसर स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में धर्म ध्वजा फहराने के बाद आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे। वह रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित प्रार्थनाओं में भी शामिल हुए। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।

रक्षा मंत्री ने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा सनातन परंपराओं को समाप्त करने के बार-बार प्रयासों के बावजूद राम मंदिर पर लहराता भगवा ध्वज भारत की सभ्यतागत निरंतरता का प्रतीक है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा, “राम विनम्र हैं, गुणी हैं, दयालु हैं, लेकिन जब आवश्यकता पड़ती है तो अधर्म के विनाशक भी बनते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने भगवान राम की इसी प्रेरणा से काम किया।”

उन्होंने कहा कि भगवान राम का लक्ष्य रावण का संहार नहीं, बल्कि अधर्म का अंत था और भारत का उद्देश्य भी यही था कि आतंकियों और उनके आकाओं को सबक सिखाया जाए। सिंह ने कहा कि इस अभियान में भारत ने संयम और मर्यादा का पालन करते हुए आवश्यक कार्रवाई की।

उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने छह मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित नौ आतंकी शिविरों पर सैन्य कार्रवाई की थी, जिसमें कम से कम 100 आतंकवादी मारे गए थे। इसके बाद पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई पर भारत ने कई महत्वपूर्ण पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया था।

राम जन्मभूमि आंदोलन को विश्व के सबसे बड़े सामाजिक आंदोलनों में से एक बताते हुए सिंह ने कहा कि यह आंदोलन समाज की चेतना से निकला और समय के साथ समाज की दिशा तय करता गया। उन्होंने आंदोलन के संघर्षपूर्ण दौर को याद करते हुए कहा कि राम का नाम लेने पर संतों, ऋषियों और भक्तों को गोलियां, गिरफ्तारियां और दमन झेलना पड़ा।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भगवान राम केवल एक पौराणिक पात्र नहीं, बल्कि एक जीवंत नैतिक शक्ति हैं, जो कर्तव्य, संयम और नैतिक दुविधा के क्षणों में समाज का मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ को गहन आध्यात्मिक संतुष्टि का क्षण बताते हुए कहा कि भगवान राम को उनके दिव्य मंदिर में विराजमान देखना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

सिंह ने कहा कि राम मंदिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस दृष्टिकोण का प्रतीक है, जिसके तहत आज उठाए गए कदम आने वाले हजार वर्षों की नींव रखेंगे। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि सदियों लंबे संघर्ष की परिणति को अपनी आंखों से देखना दुर्लभ अवसर है।

उन्होंने कहा कि “डबल इंजन सरकार” के नेतृत्व में अयोध्या अभूतपूर्व परिवर्तन से गुजर रही है, जहां आस्था और परंपरा के संरक्षण के साथ विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या ने अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी 2024 को पौष माह की द्वादशी तिथि को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान किया था। इस वर्ष पौष शुक्ल द्वादशी 31 दिसंबर को पड़ी है।

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