उप्र में दवाओं की थोक बिक्री के लाइसेंस नियम कड़े करने का प्रस्ताव, कोडीन सिरप के अवैध नेटवर्क पर लगेगी लगाम

उप्र में दवाओं की थोक बिक्री के लाइसेंस नियम कड़े करने का प्रस्ताव, कोडीन सिरप के अवैध नेटवर्क पर लगेगी लगाम

लखनऊ, 30 दिसंबर (भाषा) – कोडीन युक्त कफ सिरप के अवैध कारोबार पर प्रभावी रोक लगाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने दवाओं की थोक बिक्री के लाइसेंस नियमों को और सख्त करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें कड़ा सत्यापन, वास्तविक समय की निगरानी और जवाबदेही तय करने जैसे उपाय शामिल हैं।

एफएसडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को ‘समाचार एजेंसी ’ को बताया कि इन प्रस्तावों को राज्य सरकार के पास भेजा गया है, जबकि कुछ सिफारिशें केंद्र सरकार को भी प्रेषित की गई हैं। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब फर्जी बिलों के जरिए बड़े पैमाने पर दवाओं की अवैध आपूर्ति के मामले सामने आए हैं।

प्रस्तावित उपायों के तहत थोक दवा विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों की जियो-टैगिंग, लाइसेंसशुदा भंडारण क्षमता का अनिवार्य भौतिक सत्यापन, परिसरों और स्टॉक की फोटो के साथ दस्तावेजीकरण तथा तकनीकी कर्मचारियों के अनुभव प्रमाण पत्रों का औषधि निरीक्षकों द्वारा सत्यापन शामिल है। अधिकारियों के अनुसार, इसका उद्देश्य थोक आपूर्ति श्रृंखला की खामियों को दूर करना है ताकि अति-विनियमित दवाओं का गैर-चिकित्सीय उपयोग रोका जा सके।

एफएसडीए ने कोडीन युक्त कफ सिरप के विनिर्माण, थोक आपूर्ति, वितरण और निगरानी के लिए नई केंद्रीय अधिसूचनाएं और एक समान दिशानिर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया है। विभाग का कहना है कि मौजूदा नियम दुरुपयोग रोकने में अपर्याप्त साबित हुए हैं।

ये प्रस्ताव उत्तर प्रदेश, दिल्ली और रांची में एफएसडीए टीमों द्वारा किए गए निरीक्षणों के बाद तैयार किए गए हैं। जांच के दौरान कई थोक विक्रेता खरीद और बिक्री से जुड़े स्टॉक की रसीदें प्रस्तुत करने में विफल रहे। कई मामलों में लेनदेन केवल कागजों तक सीमित पाया गया, जबकि वास्तविक स्टॉक या तो मौजूद नहीं था या उसे राज्य के बाहर समानांतर नेटवर्क के जरिये भेज दिया गया था। जांचकर्ताओं के अनुसार, कई खरीद-बिक्री सौदे व्हाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से किए गए।

पिछले तीन महीनों में एफएसडीए ने 52 जिलों में 332 थोक दवा विक्रेताओं के परिसरों का निरीक्षण किया। इसके अलावा झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी जांच की गई, जहां उत्तर प्रदेश के थोक विक्रेताओं और सुपर स्टॉकिस्टों के कारोबारी संबंधों के प्रमाण मिले।

अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश को कोडीन युक्त कफ सिरप की आपूर्ति वास्तविक चिकित्सीय जरूरतों से कई गुना अधिक रही। इस अवधि में 3.25 करोड़ से अधिक बोतलों की आपूर्ति की गई। अब तक पुलिस और एफएसडीए ने 36 जिलों में 161 फर्मों और संचालकों के खिलाफ बीएनएस और एनडीपीएस अधिनियम के तहत 79 प्राथमिकी दर्ज की हैं और 85 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

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