अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कांग्रेस नेताओं और पर्यावरण विशेषज्ञों ने किया स्वागत

जयपुर, 29 दिसंबर । अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा से जुड़े उच्चतम न्यायालय के 20 नवंबर के आदेश पर रोक लगाए जाने के फैसले का राजस्थान के कांग्रेस नेताओं और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सोमवार को स्वागत किया। उन्होंने इसे पिछले एक महीने से अरावली की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे लोगों की बड़ी जीत बताया।

उच्चतम न्यायालय ने अपने 20 नवंबर के निर्देशों को फिलहाल स्थगित कर दिया है, जिनमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति द्वारा सुझाई गई अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार किया गया था। इसके साथ ही अदालत ने इस मुद्दे की समीक्षा के लिए संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव भी रखा है।

समिति ने सिफारिश की थी कि नामित अरावली जिलों में भूतल से कम से कम 100 मीटर अधिक ऊंचाई वाले किसी भी भू-आकृतिक क्षेत्र को ‘अरावली पहाड़ी’ माना जाए, जबकि 500 मीटर के भीतर स्थित ऐसी दो या अधिक पहाड़ियों के समूह को ‘अरावली पर्वतमाला’ के रूप में परिभाषित किया जाए।

कांग्रेस नेताओं और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस नई परिभाषा का विरोध करते हुए आशंका जताई थी कि इससे खनन, रियल एस्टेट और अन्य परियोजनाओं के लिए अरावली क्षेत्र को खोल दिया जाएगा, जिससे पहाड़ियों का बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है।

शीर्ष अदालत के नए निर्देश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे क्षेत्र की पर्यावरणीय अखंडता बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
उन्होंने कहा, “उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय स्वागत योग्य है। वर्तमान पर्यावरणीय चुनौतियों को देखते हुए अरावली क्षेत्र के भविष्य की योजना लंबी अवधि के दृष्टिकोण से बननी चाहिए, जिसमें आने वाले सौ वर्षों को ध्यान में रखा जाए।”

गहलोत ने पर्यावरण मंत्री से अरावली क्षेत्र, विशेषकर सरिस्का समेत अन्य इलाकों में खनन बढ़ाने की योजनाओं पर रोक लगाने और पर्यावरणीय चिंताओं को प्राथमिकता देने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि अरावली क्षेत्र में खनन बढ़ाने का विचार भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को जनता की बड़ी जीत बताया। उन्होंने कहा, “यह उन सभी लोगों की जीत है जो पिछले एक महीने से अरावली की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।” उन्होंने उम्मीद जताई कि अदालत जल्द ही अरावली के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करने वाला ऐतिहासिक फैसला देगी।

वहीं, ‘अरावली विरासत जन अभियान’ से जुड़े पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी शीर्ष अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त किया। एक बयान में उन्होंने कहा, “यह आदेश हमारी मुहिम में एक अहम पड़ाव है। हम अरावली की इस प्राकृतिक धरोहर की रक्षा के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे।”

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