चंडीगढ़, 15 अक्टूबर – हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार की संदिग्ध आत्महत्या मामले में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई जब उनकी पत्नी एवं आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार की सहमति के बाद चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में उनका पोस्टमार्टम शुरू किया गया।
पोस्टमार्टम की अनुमति अमनीत कुमार ने चंडीगढ़ पुलिस से निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के आश्वासन और हरियाणा सरकार द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के वादे के बाद दी। उन्होंने कहा कि न्याय के व्यापक हित और समय पर सबूत जुटाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वे यह कदम उठा रही हैं।
पोस्टमार्टम प्रक्रिया पीजीआईएमईआर में एक विशेष मेडिकल बोर्ड की देखरेख में की जा रही है, जिसमें एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट, बैलिस्टिक, विषविज्ञान, फोरेंसिक और फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ शामिल हैं। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराई जा रही है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
आईएएस अधिकारी अमनीत कुमार ने अपने बयान में कहा, “मुझे न्यायपालिका और पुलिस अधिकारियों पर पूरा भरोसा है और मुझे उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी, ताकि सच्चाई सामने आ सके।” उन्होंने जांच दल को हर संभव सहयोग देने का भी आश्वासन दिया और मीडिया से मामले की संवेदनशीलता का सम्मान करने की अपील की।
गौरतलब है कि 7 अक्टूबर को रोहतक में तैनात 52 वर्षीय आईजी वाई पूरण कुमार ने चंडीगढ़ स्थित अपने आवास में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। उनके परिवार ने आरोप लगाया था कि हरियाणा के कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों द्वारा जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और सार्वजनिक अपमान के चलते कुमार ने यह कदम उठाया।
कुमार द्वारा छोड़े गए आठ पन्नों के कथित सुसाइड नोट में तत्कालीन डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के पूर्व एसपी नरेंद्र बिजारणिया सहित आठ अधिकारियों के नाम शामिल हैं। परिवार की मांग पर सरकार ने डीजीपी कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है और ओ.पी. सिंह को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। एसपी बिजारणिया का भी तबादला किया जा चुका है।
मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने छह सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है। इस बीच, इस संवेदनशील मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है।
कुमार की मौत के बाद रोहतक में एएसआई संदीप कुमार ने भी आत्महत्या कर ली, जिन्होंने कथित तौर पर दिवंगत अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस घटना ने पूरे पुलिस महकमे को झकझोर दिया है और मामले ने राज्यभर में दलित संगठनों और विपक्षी दलों को सड़कों पर ला दिया है।
जनता और राजनीतिक दल अब न्याय की मांग को लेकर एकजुट हो रहे हैं, जबकि सरकार और पुलिस जांच को निष्पक्ष रूप से अंजाम देने का दावा कर रही है।
