स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट का इस्तेमाल नहीं करने के फैसले पर बंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग को जारी किया नोटिस

नागपुर, 7 नवंबर: बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों का इस्तेमाल नहीं करने के उसके फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

न्यायमूर्ति अनिल किलोर की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग से याचिका पर अगले सप्ताह तक जवाब दाखिल करने को कहा है। यह याचिका कांग्रेस नेता प्रफुल्ल गुडाधे ने अधिवक्ता पवन दहत और निहाल सिंह राठौड़ के माध्यम से दायर की है।

याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि राज्य निर्वाचन आयोग को आगामी स्थानीय निकाय चुनाव या तो वीवीपैट के साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के जरिये कराने का निर्देश दिया जाए, या फिर चुनावों को मतपत्रों के माध्यम से संपन्न कराया जाए।

गुडाधे ने कहा कि वीवीपैट प्रणाली चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और मतदाता के विश्वास को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा, “यदि निर्वाचन आयोग वीवीपैट का उपयोग नहीं करना चाहता, तो चुनावों को मतपत्रों के जरिये कराना ही निष्पक्ष और पारदर्शी विकल्प होगा।”

उन्होंने दलील दी कि मतदान का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और प्रत्येक नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि उसका वोट सही ढंग से दर्ज हुआ है या नहीं। याचिकाकर्ता ने वर्ष 2013 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए वीवीपैट का उपयोग अनिवार्य है।

याचिका में कहा गया है कि वीवीपैट के अभाव में ईवीएम प्रणाली “अप्रमाण्य और अविश्वसनीय” बन जाती है, क्योंकि इसमें यह सत्यापित करने का कोई तरीका नहीं रह जाता कि वोट इच्छानुसार डाला गया या नहीं।

गुडाधे ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य निर्वाचन आयोग “निष्पक्षता की कीमत पर एक अपारदर्शी प्रणाली” को अपनाने पर अड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई वैधानिक नियम नहीं है जो यह अनिवार्य करे कि चुनाव केवल ईवीएम से ही कराए जाएं।

याचिका में कहा गया है, “यदि आयोग वीवीपैट मशीनों की कमी का सामना कर रहा है, तो चुनावों को मतपत्रों के माध्यम से कराया जा सकता है।”

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