सीएम सिद्धारमैया का विवादित बयान: “अपनी संगति सही रखें, सनातनियों से दूर रहें”

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में आ गए हैं। मैसूर विश्वविद्यालय में आंबेडकर अध्ययन केंद्र के रजत जयंती समारोह के दौरान उन्होंने लोगों से ‘सनातनियों’ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा से दूर रहने की अपील की। सिद्धारमैया ने कहा कि समाज को प्रगतिशील और तार्किक ताकतों के साथ जुड़ना चाहिए, ना कि उन तत्वों के साथ जो सामाजिक बदलाव का विरोध करते हैं।

उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की हालिया घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह हमला सनातनी और रूढ़िवादी मानसिकता का परिणाम है। उन्होंने कहा, “यह घटना दिखाती है कि समाज में अभी भी सनातनी और कट्टरपंथी सोच जड़ें जमाए हुए हैं। इसकी निंदा केवल दलितों द्वारा ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग द्वारा होनी चाहिए।”

मुख्यमंत्री ने आरएसएस और संघ परिवार पर डॉ. भीमराव आंबेडकर और उनके संविधान के विरोध का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संघ की विचारधारा आज भी सामाजिक समानता और वैज्ञानिक सोच के खिलाफ काम कर रही है। सिद्धारमैया ने कहा, “संघ ने हमेशा आंबेडकर के दृष्टिकोण और संविधान के मूल्यों का विरोध किया है। वे झूठ फैला रहे हैं कि कांग्रेस ने आंबेडकर को चुनाव में हराया, जबकि खुद आंबेडकर ने लिखा था कि सावरकर और डांगे ने उन्हें हराया था।”

सिद्धारमैया ने युवाओं से वैज्ञानिक सोच और तार्किक दृष्टिकोण अपनाने की अपील करते हुए अंधविश्वास त्यागने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “विज्ञान पढ़ने के बावजूद यदि आप अंधविश्वास में डूबे हैं, तो यह सामाजिक प्रगति के मार्ग में बाधा है।”

इस बीच, चित्तपुर में आरएसएस के प्रस्तावित रूट मार्च को प्रशासन ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया है। चित्तपुर नगर पालिका ने संघ के बैनर और कटआउट भी हटा दिए हैं। कर्नाटक सरकार ने एक नया आदेश जारी कर सरकारी परिसरों के उपयोग के लिए सभी संगठनों को पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है।

यह पूरा घटनाक्रम राज्य में सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण को और गहरा कर सकता है। विपक्षी दलों ने इस बयान की आलोचना शुरू कर दी है, जबकि मुख्यमंत्री के समर्थक इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक मजबूत संदेश मान रहे हैं।

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