सांसद अरुण सागर ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मिलकर उठाया शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा का मुद्दा

 29 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को TET अनिवार्यता से मुक्त किए जाने की मांग तेज

शाहजहाँपुर। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की पहल पर जनपद के सांसद अरुण कुमार सागर ने राज्यभर के हजारों शिक्षकों से जुड़े एक अहम मुद्दे को मजबूती से केंद्र सरकार के समक्ष रखा है। सांसद ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाक़ात कर 29 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की सेवाओं को सुरक्षित रखने और उन्हें टीईटी अनिवार्यता से मुक्त करने की मांग वाला विस्तृत ज्ञापन सौंपा।

कुछ दिन पूर्व प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मुनीश मिश्र और जिला मंत्री देवेश बाजपेई के नेतृत्व में सैकड़ों शिक्षक सांसद अरुण सागर के साउथ सिटी स्थित आवास पर पहुँचे थे। शिक्षकों ने बताया कि नई टीईटी नियमावली लागू होने से 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षक सेवा सुरक्षा, वेतन निर्धारण और पदोन्नति को लेकर गंभीर मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे विधिक प्रक्रिया के तहत चयनित हुए थे और वर्षों से अनुभव व दक्षता के आधार पर शिक्षा व्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं, ऐसे में अचानक टीईटी की अनिवार्यता उन पर अन्यायपूर्ण दबाव डाल रही है।

सांसद अरुण सागर ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से आग्रह किया कि इस विषय पर संवेदनशील रुख अपनाते हुए संबंधित विभागों और उत्तर प्रदेश सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएँ, जिससे शिक्षकों को राहत मिल सके। सांसद ने कहा कि अनुभवी शिक्षकों को अनावश्यक जटिलताओं में उलझाना न केवल अनुचित है बल्कि इसकी सीधी आंच शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर भी पड़ती है।

सांसद की इस पहल से जनपद के शिक्षकों में आशा की नई किरण जगी है। उनका मानना है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस दिशा में सकारात्मक निर्णय लेकर लंबे समय से चली आ रही उनकी समस्या का समाधान सुनिश्चित करेगी।

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