संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्पष्ट संदेश — “कूटनीति और दो-राष्ट्र समाधान ही शांति का मार्ग”

न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति और गाज़ा में शांति बहाली पर आयोजित खुली बहस के दौरान भारत ने एक बार फिर अपना संतुलित और स्पष्ट रुख सामने रखा। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वथानेनी हरीश ने कहा कि भारत संवाद और कूटनीति के ज़रिए ही स्थायी समाधान का समर्थक है।

 

हरीश ने इस बैठक के आयोजन के लिए रूस का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह चर्चा हाल ही में 13 अक्तूबर 2025 को शर्म अल-शेख (मिस्र) में हुए गाज़ा शांति शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि में हो रही है, जिसमें भारत ने सक्रिय रूप से भाग लिया था। उन्होंने सम्मेलन में हुए ऐतिहासिक शांति समझौते का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह पहल क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में एक नया अध्याय खोलेगी।

 

भारतीय प्रतिनिधि ने विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, मिस्र और कतर की भूमिका की सराहना की, जिन्होंने इस समझौते को आगे बढ़ाने में निर्णायक योगदान दिया। उन्होंने कहा कि “भारत का मानना है कि दो-राष्ट्र समाधान और सभी पक्षों के बीच सतत संवाद ही शांति और स्थिरता का मार्ग हैं।”

 

हरीश ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत का रुख 7 अक्टूबर 2023 से लेकर अब तक की घटनाओं पर आधारित है — आतंकवाद की कड़ी निंदा, निर्दोष नागरिकों की पीड़ा समाप्त करने की अपील, बंधकों की रिहाई की मांग और गाज़ा में मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति की आवश्यकता पर बल देते हुए।

 

उन्होंने कहा, “भारत इस शांति समझौते को क्षेत्र में स्थायी स्थिरता और सह-अस्तित्व की दिशा में एक उत्प्रेरक के रूप में देखता है।”

 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के इस बयान को विशेषज्ञ संतुलित, व्यावहारिक और शांतिप्रिय दृष्टिकोण मान रहे हैं — जो न केवल गाज़ा बल्कि पूरे पश्चिम एशिया में भारत की बढ़ती कूटनीतिक भूमिका को भी रेखांकित करता है।

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