रोहतक। महिला वनडे विश्व कप 2025 के फाइनल में भारत की ऐतिहासिक जीत के साथ ही टीम की स्टार खिलाड़ी शेफाली वर्मा के घर जश्न का माहौल बन गया। जैसे-जैसे भारतीय टीम जीत की ओर बढ़ती गई, वैसे-वैसे रोहतक स्थित उनके घर पर खुशियों की गूंज तेज होती गई। रात करीब 11:40 बजे जब दक्षिण अफ्रीका की टीम 221 रन पर आठ विकेट खो चुकी थी, तभी परिवार ने जीत का जश्न शुरू कर दिया। ढोल की थाप पर स्वजन और रिश्तेदार थिरक उठे, वहीं आसमान में आतिशबाजी की चमक छा गई।
फाइनल मुकाबले में शेफाली ने शानदार 87 रनों की पारी खेलकर भारत की जीत की नींव रखी। उनके इस प्रदर्शन के पीछे पिता संजीव वर्मा की सलाह और प्रेरणा भी अहम रही। उन्होंने बेटी से कहा था—“बस विकेट पर टिके रहना, रन अपने आप आ जाएंगे।” सेमीफाइनल में कम स्कोर करने के बाद शेफाली थोड़ी निराश थी, लेकिन पिता के शब्दों ने उसे मजबूत बनाया। नतीजा यह रहा कि फाइनल में शेफाली ने धैर्य और आक्रामकता दोनों का बेहतरीन संतुलन दिखाया।
संजीव वर्मा ने बताया कि फाइनल से पहले उन्होंने राजस्थान के मनसा देवी मंदिर में जाकर टीम इंडिया की जीत की मन्नत मांगी थी। उनके साथ चाचा मुकेश, भाई अमन और अंकित भी मंदिर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि बेटी की यह कामयाबी मां मनसा देवी की कृपा से संभव हुई है। बेटी के शानदार प्रदर्शन के बाद उन्होंने घर के मंदिर में जाकर भगवान का आशीर्वाद लिया और बेटी के नाम दीपक जलाया।
मां परवीन बाला ने बताया कि जब शेफाली का पहली बार भारतीय टीम में चयन हुआ था, तो उसने खुद फोन कर खुशी जताई थी। परवीन ने हंसते हुए कहा, “शेफाली ने कहा—मां, एक खुशखबरी है, सोचो क्या हो सकता है? मैंने कहा—टीम में सिलेक्शन हो गया क्या? तो वह बोली—हां! भगवान ने मुझे मौका दिया है, अब मैं टीम को जीत दिलाऊंगी।”
अब वही शेफाली देश की हीरो बन चुकी है। परवीन बाला ने मुस्कराते हुए कहा, “शेफाली को सबसे ज्यादा चटनी-रोटी पसंद है। जब वो घर लौटेगी, तो मैं उसका स्वागत उसी के पसंदीदा खाने से करूंगी।”
इस बीच, पिता संजीव वर्मा और परिवार के अन्य सदस्य सोमवार को मुंबई रवाना हो गए हैं ताकि बेटी से मिलकर विश्व कप जीत का जश्न मना सकें। परिवार का कहना है कि शेफाली की यह जीत न सिर्फ उनके घर की, बल्कि पूरे देश की जीत है।
रोहतक के लोगों में भी गर्व और उत्साह का माहौल है। स्थानीय लोग शेफाली को “हरियाणा की शेरनी” कहकर पुकार रहे हैं। नन्ही उम्र में बड़े मुकाम हासिल करने वाली शेफाली ने एक बार फिर साबित किया है कि हौसले बुलंद हों तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।
