लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के हाल ही में संपन्न हुए शीतकालीन सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही को एक बार भी स्थगित नहीं करना पड़ा। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि सत्र के दौरान कार्यवाही पूरी तरह सुचारु, विधिवत और अनुशासित तरीके से संचालित हुई।
प्रदेश की 18वीं विधानसभा का वर्ष 2025 का तृतीय सत्र 19 दिसंबर को प्रारंभ होकर 24 दिसंबर को सम्पन्न हुआ। विधानसभा अध्यक्ष के अनुसार, इस शीतकालीन सत्र में स्थगन समय शून्य रहा, जबकि स्थगन-रहित समय कुल 24 घंटे 50 मिनट दर्ज किया गया। इस पूरी अवधि में सदन ने निर्धारित सभी विधायी कार्य सफलतापूर्वक पूरे किए।
महाना ने बताया कि चार बैठकों के बाद सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया, लेकिन पूरे सत्र के दौरान कार्यवाही को एक बार भी बाधित नहीं करना पड़ा। उन्होंने इसे विधानसभा की कार्यप्रणाली के लिए एक सकारात्मक संकेत बताया।
सत्र के दौरान प्रश्नोत्तर व्यवस्था की जानकारी देते हुए अध्यक्ष ने कहा कि कुल 2776 प्रश्न प्राप्त हुए, जिनमें से 2650 प्रश्न (95.46 प्रतिशत) सदस्यों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से प्रस्तुत किए गए। सभी प्रश्नोत्तर शासन से भी ऑनलाइन प्राप्त हुए और इन्हें सदस्यों के साथ-साथ पब्लिक पोर्टल पर भी उपलब्ध कराया गया।
नियम-51 के तहत प्राप्त सूचनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि कुल 388 सूचनाएं प्राप्त हुईं, जिनमें से 233 सूचनाएं ध्यानाकर्षण के लिए स्वीकार की गईं, जबकि 295 सूचनाएं अस्वीकार की गईं।
शीतकालीन सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया। इनमें उत्तर प्रदेश पेंशन की हकदारी तथा विधि मान्यकरण विधेयक, 2025, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय, चतुर्थ और पंचम संशोधन) विधेयक 2025, तथा उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2025 प्रमुख हैं।
इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान (संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश गन्ना उपकर निरसन विधेयक 2025, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2025, तथा उत्तर प्रदेश विनियोग (2025–26) का अनुपूरक विधेयक 2025 भी सदन से पारित किए गए।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि शीतकालीन सत्र का यह संचालन लोकतांत्रिक मूल्यों, विधायी गरिमा और कार्यकुशलता का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो भविष्य के सत्रों के लिए भी एक मानक स्थापित करता है।
