सासाराम/अरवल, 9 नवंबर : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के प्रचार के दौरान रविवार को विपक्षी इंडिया गठबंधन पर राज्य में “घुसपैठियों के लिए कॉरिडोर” बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य में औद्योगिक और रक्षा कॉरिडोर स्थापित कर रहे हैं।
सासाराम और अरवल में आयोजित जनसभाओं को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, “भविष्य में पाकिस्तान से अगर कोई आतंकवादी हमला करता है, तो उनके बमों का जवाब बिहार के आयुध कारखानों में बने मोर्टार से दिया जाएगा। ये मोर्टार सासाराम में मोदी के रक्षा कॉरिडोर के तहत बनेंगे।”
शाह ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की “वोटर अधिकार यात्रा” पर निशाना साधते हुए कहा कि यह यात्रा गरीबों और पिछड़े वर्गों के लिए नहीं थी, बल्कि घुसपैठियों की सुरक्षा के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की वोट बैंक राजनीति ने उन्हें “घुसपैठिया कॉरिडोर” बनाने पर मजबूर किया, जबकि मोदी सरकार राज्य में औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन के लिए काम कर रही है।
कांग्रेस के “वोट चोरी” के आरोप पर शाह ने कहा, “अगर उन्हें सच में लगता है कि वोट चोरी हो रही है, तो वे निर्वाचन आयोग में शिकायत क्यों नहीं करते?” उन्होंने पूर्व यूपीए सरकारों पर हमला करते हुए कहा कि उस समय आतंकवादी खुलकर देश में हमले कर रहे थे, जबकि अब सुरक्षा एजेंसियां उनके घरों तक पहुंच रही हैं।
शाह ने राम मंदिर निर्माण और विपक्ष की कथित रोक पर भी टिप्पणी की, कहा कि 550 साल पहले बाबर ने मंदिर तोड़ा था, लेकिन अब मोदी के नेतृत्व में भव्य मंदिर बनकर तैयार है। उन्होंने मतदाताओं से सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा कि विपक्ष ने सिर्फ नया चेहरा धारण किया है, चिह्न और चरित्र वही हैं।
केंद्र की नक्सलवाद विरोधी नीतियों की सफलता का हवाला देते हुए शाह ने कहा कि यदि लाल झंडा वाले सत्ता में आए तो बिहार फिर से अराजकता और हिंसा की ओर जाएगा। उन्होंने मतदाताओं से आग्रह किया कि राजग उम्मीदवारों के पक्ष में ईवीएम का बटन इतनी ताकत से दबाएं कि उसकी गूंज इटली तक सुनाई दे।
अमित शाह ने लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की तुलना करते हुए कहा कि लालू कई भ्रष्टाचार मामलों में दोषी हैं, जबकि नीतीश कुमार पिछले 20 वर्षों से सत्ता में रहते हुए किसी आरोप से अछूते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनका प्रचार अभियान बिहार में 37वें रैली तक पहुंच चुका है और पहले चरण में ही विपक्षी नेतृत्व कमजोर हो चुका है।
