नयी दिल्ली, 26 नवंबर — उच्चतम न्यायालय में बुधवार को आयोजित संविधान दिवस समारोह में विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ न्यायाधीशों ने हिस्सा लिया। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें भारतीय न्यायपालिका की कार्यवाही देखने का अवसर प्रदान किया।
इस अवसर पर भाग लेने वाले शीर्ष पदाधिकारियों में भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योनपो नोरबू शेरिंग, केन्या की मुख्य न्यायाधीश मार्था के. कूम, मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश रेहाना बीबी मुंगली-गुलबुल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश प्रीति पदमन सुरसेना शामिल थे। इसके अलावा, केन्या, नेपाल, श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालयों और मलेशिया के संघीय न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश भी उपस्थित रहे।
CJI सूर्यकांत ने स्वागत भाषण में कहा, “वे सर्वोच्च न्यायालय में संविधान दिवस समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए आए हैं। भारत के राष्ट्रपति ने भी अतिथि बनने के लिए सहमति दी है। और यह संयोग ही है कि मैंने 24 नवंबर को प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। भारत के उच्चतम न्यायालय और बार के सभी सदस्यों की ओर से मैं सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत करता हूं।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “भारत सरकार की ओर से एक विधि अधिकारी के रूप में मैं दुनिया की सबसे महान अदालतों में से एक में सभी माननीय सदस्यों का स्वागत करता हूं।” वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बार की ओर से सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया।
सत्र के दौरान, जब विशेष पीठ उठने ही वाली थी, CJI सूर्यकांत ने अतिथियों से अपने विचार साझा करने का आग्रह किया। मॉरीशस की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रेहाना बीबी मुंगली-गुलबुल ने कहा कि उनका देश भारतीय न्यायशास्त्र से मार्गदर्शन प्राप्त करता है। उन्होंने CJI सूर्यकांत को बधाई देते हुए कहा, “यह सत्र बहुत ही दिलचस्प रहा।”
केन्या की मुख्य न्यायाधीश मार्था के. कूम ने भी भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायशास्त्र और कार्यों का सम्मान किया और कहा, “हम आपकी सफलता की कामना करते हैं ताकि हम साथ मिलकर न केवल भारत में, बल्कि सभी सामान्य कानून वाले देशों में कानून के शासन को बनाए रखें।”
भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योनपो नोरबू शेरिंग ने कहा, “भारत में बहुत कुशल, बुद्धिमान और पेशेवर लोग हैं। आपके संविधान में 106 संशोधन हो चुके हैं और मूल ढांचा अक्षुण्ण है। हम भारत का बहुत सम्मान करते हैं।” उन्होंने अपनी दिल्ली विश्वविद्यालय के समय की यादें साझा करते हुए भारतीय अदालतों के वकीलों की संख्या की सराहना भी की।
श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश प्रीति पदमन सुरसेना ने दोनों देशों की कानूनी परंपराओं और प्रणालियों में समानताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “हमारी परंपराएं और कानूनी व्यवस्था बहुत हद तक समान हैं। आज की कार्यवाही से हमने बहुत कुछ सीखा।”
विदेशी न्यायाधीशों का स्वागत करते हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि सभी देशों की सर्वोच्च अदालतों के बीच प्राचीन संबंध हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम और ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अनुभव ने सभी देशों को जोड़ रखा है।
संविधान दिवस भारत में हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है, जिसे राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस वर्ष उच्चतम न्यायालय में आयोजित समारोह में भारत के राष्ट्रपति और विभिन्न देशों के न्यायाधीशों ने भाग लेकर इस अवसर की गरिमा बढ़ाई।
