लखनऊ, 4 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे केवल कागजों और फाइलों तक सीमित न रहें, बल्कि धरातल पर उतरकर विकास परियोजनाओं की वास्तविक प्रगति का निरीक्षण करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में चल रही अवस्थापना और शहरी विकास योजनाओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए यह आवश्यक है कि अधिकारी जमीनी हकीकत को समझें और पारदर्शी व्यवस्था के तहत कार्य करें।
यह निर्देश मुख्यमंत्री ने आवास विकास विभाग की एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि योजनाओं की प्लानिंग और क्रियान्वयन के दौरान जनता की सुविधा और क्षेत्रीय आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने अधिकारियों से मास्टर प्लान बनाते समय चयन प्रक्रिया को वैज्ञानिक, पारदर्शी और व्यावहारिक बनाने पर जोर दिया, ताकि योजनाएं वास्तव में धरातल पर उतर सकें और जनता को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास परियोजनाएं केवल अल्पावधि नहीं, बल्कि मध्यावधि और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से तैयार की जाएं, ताकि वे भविष्य की जरूरतों को भी पूरा कर सकें। उन्होंने मेरठ, कानपुर और मथुरा-वृंदावन के समग्र विकास हेतु 1,833 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित 38 परियोजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि इन परियोजनाओं को स्थानीय सर्वेक्षण और अध्ययन के बाद ही अंतिम रूप दिया जाए।
इन प्रस्तावित योजनाओं में मेरठ की 11, कानपुर की 13 और मथुरा-वृंदावन की 14 परियोजनाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि इन परियोजनाओं की सफलता क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजना निर्माण और पारदर्शी क्रियान्वयन पर निर्भर करती है।
लखनऊ में प्रस्तावित 28 किलोमीटर लंबे ‘ग्रीन कॉरिडोर’ परियोजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार की परियोजनाएं राजधानी में संचालित अन्य विकास योजनाओं को आपस में जोड़कर आर्थिक विकास को नई गति देंगी। मुख्यमंत्री ने विकास प्राधिकरणों को अपने ‘बॉन्ड’ जारी करने के निर्देश भी दिए, जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि कार्यकुशलता और पारदर्शिता को लेकर जनता का विश्वास भी सुदृढ़ होगा।
अंत में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को सभी योजनाओं को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि योजनाएं केवल वर्तमान की नहीं, बल्कि आने वाले दशकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए, ताकि प्रदेश का समग्र और टिकाऊ विकास सुनिश्चित हो सके।
