लाल किला विस्फोट: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनआईए मुख्यालय में वकील से मुलाकात की याचिका खारिज की

नई दिल्ली, 21 नवंबर – दिल्ली उच्च न्यायालय ने लालकिले के पास हुई धीमी गति से चलती कार में विस्फोट मामले के सह-आरोपी जसीर बिलाल वानी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने एनआईए मुख्यालय में अपने वकील से मिलने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने स्पष्ट किया कि आरोपी इस मामले में कोई विशेष दर्जा नहीं रखता और उसके लिए कोई अलग प्रक्रिया नहीं बनाई जा सकती।

अदालत ने यह भी कहा कि वानी ने निचली अदालत द्वारा याचिका खारिज करने का कोई आदेश प्रस्तुत नहीं किया। न्यायमूर्ति शर्मा ने टिप्पणी करते हुए कहा, “आपको लगता है कि मैं अपनी प्रक्रिया स्वयं बनाऊंगा? मैं ऐसा नहीं करूंगा। यह कोई विशेष प्रक्रिया नहीं है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी याचिका पर चुनौती तभी दी जा सकती है जब निचली अदालत का आदेश पारित हो।

वानी के वकील ने दावा किया कि एनआईए कार्यालय में एक वकील आरोपियों से मिलने गया था, लेकिन एजेंसी ने मुलाकात की अनुमति देने से इनकार कर दिया और अदालत का कोई निर्देश दिखाने को कहा। वकील ने बताया कि निचली अदालत ने आवेदन पर मौखिक रूप से आरोपी को अपनी पसंद के वकील से मिलने की अनुमति देने से भी इंकार किया।

एनआईए के वकील ने अदालत को बताया कि आरोपी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से पहले सभी कानूनी उपाय नहीं अपनाए। इसके आधार पर उन्होंने याचिका खारिज करने की मांग की। उच्च न्यायालय ने भी इस तर्क को सही मानते हुए कहा कि यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता ने सभी प्रभावी उपायों का लाभ उठा लिया है।

एनआईए ने 10 नवंबर को लालकिले के निकट हुए विस्फोट के सिलसिले में वानी को 17 नवंबर को गिरफ्तार किया था। इस घटना में 15 लोगों की जान चली गई थी। निचली अदालत ने 18 नवंबर को उसे 10 दिन के लिए एनआईए की हिरासत में भेज दिया।

उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए आरोपी के वकील को यह छूट दी कि वे कानून के अनुसार संबंधित निचली अदालत में याचिका पर निर्णय के लिए शनिवार को उपस्थित हो सकते हैं। न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि कोई मौखिक अस्वीकृति स्वीकार्य नहीं है और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन अनिवार्य है।

इस मामले में उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है और किसी भी आरोपी के लिए कोई विशेष छूट नहीं दी जा सकती। अदालत ने वकील और अभियोजन पक्ष दोनों से निर्देश का पालन करने और उचित कानूनी उपायों के माध्यम से न्याय दिलाने का आग्रह किया।

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