लेह/नई दिल्ली, 20 अक्टूबर — लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष संरक्षण देने की मांग को लेकर लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के बीच लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के प्रतिनिधि 22 अक्टूबर को गृह मंत्रालय के साथ वार्ता में भाग लेंगे। यह बैठक राजधानी दिल्ली में आयोजित होगी, जिसे लेकर दोनों संगठनों ने गृह मंत्रालय का आमंत्रण स्वीकार कर लिया है।
LAB के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे लकरुक ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र सरकार की इस पहल का दोनों संगठन स्वागत करते हैं और सकारात्मक परिणामों की उम्मीद कर रहे हैं।
वार्ता में कौन होंगे शामिल
बैठक में LAB और KDA से तीन-तीन प्रतिनिधि, लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा जान और उनके कानूनी सलाहकार शामिल होंगे। LAB की ओर से वार्ता का नेतृत्व इसके अध्यक्ष और पूर्व सांसद थुपस्तान छेवांग करेंगे, जबकि KDA का प्रतिनिधित्व कमर अली अखून, असगर अली करबलाई और सज्जाद करगली करेंगे।
बातचीत का एजेंडा
लकरुक ने बताया कि बैठक का मुख्य फोकस लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के अंतर्गत संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग पर रहेगा। इसके अलावा, 24 सितंबर की हिंसक झड़पों के बाद बनी परिस्थितियों पर भी चर्चा की जाएगी, जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी और 70 से अधिक लोग हिरासत में लिए गए थे।
पृष्ठभूमि: क्यों टूटा था संवाद
LAB ने पहले 6 अक्टूबर को प्रस्तावित बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इसकी वजह 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसक झड़पें थीं, जिसमें आंदोलनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच टकराव हुआ था। इस दौरान चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी और प्रमुख कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था।
सरकार ने मानी बड़ी मांग
गतिरोध समाप्त करने की दिशा में केंद्र सरकार ने शुक्रवार को एक बड़ा कदम उठाया। सरकार ने 24 सितंबर की घटना की न्यायिक जांच की घोषणा की है, जो कि उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में होगी। यह प्रदर्शनकारियों की एक प्रमुख मांग थी।
क्या बोले लकरुक
लकरुक ने कहा, “हम भारत सरकार द्वारा दिए गए आमंत्रण का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि यह बातचीत लद्दाख की जनता के लिए न्याय और अधिकारों की दिशा में सार्थक परिणाम लाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि आने वाली यह बैठक गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ अगले दौर की वार्ता का मार्ग प्रशस्त करेगी।
