जयपुर। अरावली पर्वतमाला की परिभाषा में कथित बदलाव और प्रस्तावित खनन के विरोध में कांग्रेस ने राजस्थान के 19 जिलों में व्यापक आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है। पार्टी का आरोप है कि खनन के नाम पर अरावली की लगभग 90 प्रतिशत भूमि को नष्ट करने की तैयारी की जा रही है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मंगलवार को जयपुर में आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में “अरावली बचाओ” आंदोलन की घोषणा की। दोनों नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर अरावली में प्रस्तावित खनन की सीमा को लेकर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।
डोटासरा ने कहा कि अरावली रेंज में खनन की अनुमति देने के लिए कई कंपनियों से कथित तौर पर पैसे लिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के शासनकाल में अधिकारियों और खनन माफिया के बीच गहरी सांठगांठ है।
उन्होंने कहा, “सरकार संगठित गिरोह की तरह देश की खनिज संपदा को लूट रही है। अरावली का मुद्दा इसी साजिश का हिस्सा है।”
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि केंद्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में पेश एक रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि खनन के नाम पर अरावली की लगभग 90 प्रतिशत जमीन को बर्बाद करने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि सरकार भले ही खनन को केवल 0.19 प्रतिशत वन क्षेत्र तक सीमित बताने का दावा कर रही हो, लेकिन वास्तव में करीब 68,000 एकड़ भूमि खनन माफिया को सौंपने की तैयारी की जा चुकी है।
डोटासरा ने भाजपा पर चुनावी वादों से मुकरने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी ने अपने घोषणापत्र में अरावली पर्वतमाला की रक्षा के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाने का वादा किया था, लेकिन अब ‘अवैध खनन कॉरिडोर’ को बढ़ावा दिया जा रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जैसे पहले चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा लिया गया, वैसे ही अब खनन माफिया से चंदा वसूला जा रहा है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा की भूमिका पर सवाल उठाते हुए डोटासरा ने कहा कि भाजपा सरकार की नीति संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग और माफिया हितों की रक्षा तक सीमित रह गई है।
आंदोलन की रूपरेखा बताते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य के 19 जिलों में बूथ से लेकर ब्लॉक स्तर तक विरोध प्रदर्शन करेगी।
उन्होंने स्पष्ट किया, “यह केवल कांग्रेस का नहीं, बल्कि जनता का आंदोलन है और तब तक जारी रहेगा, जब तक केंद्र सरकार अपना फैसला वापस नहीं ले लेती।”
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के उस बयान पर तंज कसा, जिसमें उन्होंने कहा था कि अरावली को कोई नुकसान नहीं होगा।
जूली ने सवाल उठाया, “मुख्यमंत्री कहते हैं कि अरावली को कुछ नहीं होगा, लेकिन क्या उन्होंने ऊपर से इसकी अनुमति ली है? असली सवाल यह है कि वे करेंगे क्या?”
उन्होंने कहा कि 0.19 प्रतिशत का मतलब भी 68,000 एकड़ भूमि होता है। जूली ने पूछा कि जब दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए वाहनों पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, तो फिर अरावली के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है, जो रेगिस्तान बनने और प्रदूषण को रोकने में अहम भूमिका निभाती है।
अरावली को राजस्थान के “फेफड़े और जीवनरेखा” बताते हुए जूली ने मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर स्पष्ट और ठोस रुख अपनाने की मांग की।
