नई दिल्ली, 8 दिसंबर – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान कहा कि ‘वंदे मातरम्’ के साथ जो अन्याय हुआ, वह कोई अलग-थलग घटना नहीं थी, बल्कि तुष्टीकरण की राजनीति की शुरुआत थी, जिसे कांग्रेस ने अपनाया और इसी राजनीति ने देश का विभाजन कराया।
सिंह ने कहा, “यह स्वीकार करना पड़ेगा कि वंदे मातरम् के साथ जो न्याय होना चाहिए था, वह नहीं हुआ। आजाद भारत में राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत को समान दर्जा देने की बात थी, लेकिन वंदे मातरम् को खंडित किया गया।”
उन्होंने बताया कि यह अन्याय उस धरती (बंगाल) पर हुआ, जहां वंदे मातरम् की रचना हुई थी। राजनाथ सिंह ने कहा कि वंदे मातरम् स्वयं में पूर्ण है, लेकिन इसे ‘अपूर्ण’ बनाने की कोशिश की गई। उनका कहना था कि इसका गौरव लौटाना समय की मांग और नैतिकता का तकाजा है।
सिंह ने आगे कहा, “हम सभी को मिलकर सोचना चाहिए कि क्या संविधान में नया दायित्व नहीं जोड़ा जा सकता कि राष्ट्रगान की तरह राष्ट्रगीत को सम्मान दिया जाए।”
उन्होंने वंदे मातरम् और बंकिमचंद्र चटर्जी की पुस्तक ‘आनंदमठ’ के संदर्भ में कहा कि यह कभी भी किसी धर्म के विरुद्ध नहीं थी। राजनाथ सिंह ने यह भी दावा किया कि पश्चिम बंगाल से कई परिवारों को पलायन करना पड़ा है, जो तृणमूल कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति और घुसपैठियों को शरण देने की नीति के कारण हुआ।
इस प्रकार रक्षा मंत्री ने वंदे मातरम् के सम्मान और उसकी पूर्णता पर जोर देते हुए संविधान में इसके दर्जे को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
