मूकदर्शक नहीं, राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदार बने जनता: केरल के राज्यपाल अर्लेकर

तिरुवनंतपुरम, एक नवंबर : केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने शनिवार को कहा कि राष्ट्र निर्माण केवल सरकार का कार्य नहीं है, बल्कि इसमें प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जनता देश के विकास में ‘‘मूकदर्शक’’ बनकर नहीं रह सकती, बल्कि उसे राष्ट्र के उत्थान में अपनी भूमिका निभानी होगी।

राज्यपाल अर्लेकर ने यह विचार केरल के स्थापना दिवस के अवसर पर राजभवन में आयोजित समारोह के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा, ‘‘सभी को राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा बनना होगा। सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन लोग राष्ट्र के विकास में मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते।’’

राजभवन द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, राज्यपाल ने स्वतंत्रता के बाद देश के एकीकरण की प्रक्रिया में केरल के वी.पी. मेनन और सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका को याद किया। उन्होंने कहा कि 1947 से 1951 के बीच केंद्र सरकार के राज्य संबंधी मंत्रालय में सचिव रहे वी.पी. मेनन ने देश की रियासतों को भारतीय संघ में सम्मिलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अर्लेकर ने कहा कि मेनन ने रियासतों के महाराजाओं के साथ संवाद स्थापित कर उन्हें राष्ट्रवादी दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया। ‘‘उनका योगदान इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।’’

राज्यपाल ने कहा कि केरल ने हमेशा अपने सही दृष्टिकोण, मूल्यों और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के माध्यम से पूरे देश को दिशा दी है। उन्होंने कहा, ‘‘विकसित भारत का मार्ग विकसित केरल से होकर गुजरता है।’’

उन्होंने लोगों से अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावी भूमिका निभाने और समाज के विकास में सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया। अर्लेकर ने कहा कि केरल के लोग शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, उद्योग और सेवा जैसे हर क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं और उन्होंने राष्ट्र के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है।

समारोह के दौरान केरल कलामंडलम के कलाकार विद्यार्थियों ने राज्य की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने वाला मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस अवसर पर राजभवन के अधिकारी-कर्मचारी और कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

राज्यपाल ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि ‘‘यदि हर नागरिक अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाए, तो भारत को विश्व का सबसे विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य शीघ्र ही प्राप्त किया जा सकता है।’’

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