लखनऊ। समाजवादी आंदोलन के प्रणेता और पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की 86वीं जयंती के अवसर पर राजधानी के बंथरा क्षेत्र स्थित गुलाबखेड़ा में भव्य अंतरराष्ट्रीय दंगल का आयोजन किया गया। विशाल पंडाल, पारंपरिक ढोल-नगाड़ों और हजारों की भीड़ के बीच आयोजित यह दंगल न सिर्फ खेल आयोजन रहा बल्कि समाजवादी विचारधारा और उत्तर भारतीय सांस्कृतिक विरासत का भी भव्य प्रदर्शन बन गया। मुख्य अतिथि के रूप में सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिरकत की।
दंगल का संचालन युवा नेता कुमार दुर्गेश सिंह सोनू ने किया, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम को सुव्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाया। मंच पर मौजूद नेताओं, कार्यकर्ताओं और खेल प्रेमियों के बीच अखिलेश यादव का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में दंगल को उत्तर भारत की ऐतिहासिक परंपरा बताते हुए कहा कि यह खेल केवल शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि अनुशासन, संघर्ष और सम्मान की सीख देता है।
अखिलेश ने कहा कि दंगल उनके परिवार की पुरानी परंपरा का हिस्सा रहा है। उन्होंने स्मरण किया कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव न सिर्फ एक बड़े पहलवान रहे, बल्कि कुश्ती के माध्यम से ही उन्होंने जनसंपर्क की शुरुआत की थी। अखिलेश ने कहा कि मुलायम सिंह यादव जीवनभर संघर्ष की मिसाल रहे और समाजवादी विचारधारा उनके हर कार्य में प्रतिबिंबित होती थी।
राजनीतिक संदर्भ में अखिलेश यादव ने बेबाक टिप्पणी करते हुए कहा, “असली दंगल 2027 का होगा।” यह टिप्पणी साफ तौर पर आगामी विधानसभा चुनावों की ओर संकेत थी, जिसे कार्यकर्ताओं ने उत्साह के साथ लिया।
दंगल में देश और विदेश के नामी पहलवानों ने दमखम दिखाया। अंत में विजयी पहलवानों को सम्मानित किया गया। इस आयोजन ने एक बार फिर साबित किया कि दंगल सिर्फ खेल नहीं, बल्कि उत्तर भारतीय सामाजिक संस्कृति की धड़कन है और मुलायम सिंह यादव की याद में आयोजित यह कार्यक्रम भावनाओं और परंपरा का सशक्त संगम रहा।
