वित्तीय तकनीक (FinTech) सम्मेलन “Global Fintech Fest 2025” का आयोजन 7 से 9 अक्टूबर तक मुंबई में हुआ, जिसमें भारत ने डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में अपने मजबूत इरादों को प्रदर्शित किया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 125 से अधिक देशों के प्रतिनिधि, बैंकों, स्टार्टअप्स और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों ने भाग लिया। सम्मेलन का मुख्य विषय था — “फाइनेंशियल इनक्लूजन थ्रू टेक्नोलॉजी” यानी तकनीक के माध्यम से वित्तीय समावेशन।भारत ने इस मंच पर स्पष्ट किया कि वह विवादित क्रिप्टोकरेंसी और स्टेबलकॉइन से दूरी बनाए रखेगा, लेकिन इसके बजाय केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) यानी e-रुपया के नवाचार और उपयोग को बढ़ावा देगा। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बताया कि अब तक 25 लाख से अधिक लोगों ने e-रुपया वॉलेट का प्रयोग किया है और कई सरकारी योजनाओं में इसका उपयोग परीक्षण के रूप में किया जा रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वर्चुअल संबोधन में कहा कि भारत ने डिजिटल प्रौद्योगिकी को लोकतांत्रिक बना दिया है — यानी हर नागरिक तक तकनीक की पहुँच सुनिश्चित की है। उन्होंने UPI और आधार-प्लेटफॉर्म की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत का डिजिटल इकोसिस्टम दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है।इस आयोजन में फिनटेक क्षेत्र की कई नई घोषणाएँ भी की गईं। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने “UPI इंटरनेशनल पेमेंट” की नई सुविधा लॉन्च की, जिससे भारतीय उपयोगकर्ता अब 15 से अधिक देशों में सीधे UPI भुगतान कर सकेंगे। इसके अलावा, स्टार्टअप्स को AI आधारित धोखाधड़ी पहचान तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहन योजनाएँ भी घोषित की गईं।ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 ने यह साबित किया कि भारत डिजिटल फाइनेंस के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है और भविष्य की अर्थव्यवस्था में उसकी भूमिका निर्णायक होगी।
