भारत में 1 अरब की साइबर ठगी कर बनाई नाइजीरिया में आलीशान कोठी, नेपाली युवतियों ने खोले राज

मुरादाबाद। देशभर में फैले एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए मुरादाबाद साइबर पुलिस ने एक नाइजीरियन नागरिक समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए 100 से अधिक बैंक खाते खुलवाए और करीब एक अरब रुपये से अधिक की ठगी को अंजाम दिया। ठगी के पैसों से मुख्य आरोपी ने नाइजीरिया में आलीशान कोठी और कई लग्जरी कारें खरीदीं। गिरफ्तार नेपाली युवतियों ने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

पुलिस के अनुसार, गिरोह का सरगना छिनवेओके एनमनुएल कनु वर्ष 2018 में भारत आया था और दिल्ली में ट्रैवल एजेंसी का काम शुरू किया। लेकिन 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद उसने साइबर ठगी की दुनिया में कदम रखा और जल्द ही एक बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया। वह नेपाली लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर उनके नाम पर फर्जी आधार-पैन कार्ड बनवाता और 20 से ज्यादा शहरों में बैंक खाते खुलवाता था। इन खातों के ज़रिए वह ठगी की रकम को ठिकाने लगाता था।

गिरोह में शामिल नेपाली युवतियों ममता, संगीता, निर्मला और मणिपुर की सुनीता ने अलग-अलग किरदार निभाए। कोई कस्टम अधिकारी बनती, तो कोई पुलिस या बैंक अफसर। मुरादाबाद की एक शिक्षिका से 94 लाख रुपये की ठगी में भी इन्हीं आरोपियों का हाथ है। नाइजीरियन आरोपी खुद को अमेरिका में रहने वाला डॉक्टर बताकर शिक्षिका से फोन पर बात करता रहा और शादी का झांसा देकर भरोसे में लिया।

गिरोह के तार देश के 18 राज्यों से जुड़े पाए गए हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, गुजरात, राजस्थान, मणिपुर, झारखंड आदि शामिल हैं। अब तक 37 से ज्यादा शिकायतें इस गिरोह के खिलाफ दर्ज हो चुकी हैं।

पुलिस ने बुधवार को नाइजीरियन सरगना छिनवेओके कनु और नेपाली युवतियां ममता व संगीता को गिरफ्तार किया। एसपी क्राइम सुभाषचंद्र गंगवार ने बताया कि इनके पास से 16 एटीएम कार्ड, 17 चेकबुक, 10 मोबाइल, फर्जी दस्तावेज, पीओएस मशीन और नकद 50 हजार रुपये बरामद किए गए हैं।

पूछताछ में ममता ने खुलासा किया कि वह पिछले साल नाइजीरिया गई थी, जहां सरगना की भव्य कोठी और महंगी कारों को देखकर हैरान रह गई। उसने बताया कि भारत से ठगे गए पैसे से उसने वहां यह सब खरीदा।

यह मामला सिर्फ आर्थिक अपराध का नहीं, बल्कि देश की साइबर सुरक्षा और विदेशियों द्वारा भारत में सक्रिय धोखाधड़ी नेटवर्क का एक गंभीर उदाहरण बन चुका है। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों और खाताधारकों की तलाश में जुटी है।

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