भारत जी-20 शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ के मुद्दों को प्रमुखता देगा: विदेश मंत्रालय

नयी दिल्ली, 20 नवंबर  – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत जी-20 शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ के प्रासंगिक और महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रमुखता देगा। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे पूर्वानुमान नहीं लगा सकते कि शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र में क्या शामिल होगा, लेकिन भारत और ग्लोबल साउथ के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मामलों को हमारे नेतृत्व द्वारा उजागर किया जाएगा।

यह शिखर सम्मेलन ग्लोबल साउथ में आयोजित होने वाला समूह का लगातार चौथा सम्मेलन है। साथ ही, यह पहला अवसर है जब जी-20 का शिखर सम्मेलन अफ्रीकी महाद्वीप में आयोजित किया जा रहा है। वर्तमान में इस प्रभावशाली समूह की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका के पास है और शिखर सम्मेलन 21 से 23 नवंबर तक जोहान्सबर्ग में आयोजित होगा।

विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) सुधाकर दलेला ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी शिखर सम्मेलन के दौरान अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। उन्होंने कहा, “हम इन द्विपक्षीय बैठकों के विवरण पर काम कर रहे हैं। यह भारत और शिखर सम्मेलन के अन्य देशों के बीच सहयोग और विकास के एजेंडे को मजबूत करने का अवसर है।”

दलेला ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन केवल अफ्रीका तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्लोबल साउथ के विकास संबंधी मुद्दों पर भी विशेष रूप से प्रकाश डालेगा। उन्होंने बताया कि ‘ग्लोबल साउथ’ उन देशों से सम्बंधित है, जिन्हें आमतौर पर विकासशील, कम विकसित या अविकसित माना जाता है। ये देश मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।

जी-20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ शामिल हैं। दक्षिण अफ्रीका ने इस वर्ष अपनी अध्यक्षता की थीम ‘एकजुटता, समानता, स्थिरता’ तय की है और चार प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है।

विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि भारत वैश्विक मंच पर आतंकवाद जैसे ज्वलंत मुद्दों को उठाने के लिए भी प्रतिबद्ध है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि जी-20 मुख्य रूप से आर्थिक और विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा का मंच है। “हम शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र पर चर्चा कर रहे हैं और हमारी टीम जोहान्सबर्ग में सभी आवश्यक तैयारियों में लगी है। इसलिए मैं पूर्वानुमान नहीं लगा सकता कि घोषणापत्र में क्या शामिल होगा, लेकिन ग्लोबल साउथ के दृष्टिकोण से प्रासंगिक सभी मुद्दे हमारे नेतृत्व द्वारा उजागर किए जाएंगे,” उन्होंने कहा।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति और भारत की सक्रिय भागीदारी इस वर्ष के जी-20 शिखर सम्मेलन को और अधिक प्रभावशाली बनाएगी। भारत ने पिछले वर्षों में लगातार जी-20 के मंच पर वैश्विक आर्थिक और विकास संबंधी एजेंडों को मजबूती से उठाया है और इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी ग्लोबल साउथ के हितों को सुरक्षित रखने पर जोर देंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि अफ्रीका में आयोजित यह शिखर सम्मेलन विकासशील देशों के लिए नई आर्थिक अवसरों और निवेश की संभावनाओं को भी उजागर करेगा। इसके साथ ही, भारत की भूमिका ग्लोबल साउथ के देशों के दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत करने में निर्णायक साबित होगी।

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