बीड सरपंच हत्याकांड: चार आरोपियों को आरोपमुक्त करने से मकोका अदालत ने किया इंकार

मुंबई, 14 नवंबर। महाराष्ट्र के बीड जिले की विशेष मकोका अदालत ने सरपंच संतोष देशमुख हत्या मामले में चार आरोपियों को आरोपमुक्त करने से इंकार कर दिया है। अदालत ने माना कि उनके खिलाफ मुकदमा आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं।

न्यायाधीश वीएच पटवाडकर ने 11 नवंबर के आदेश में कहा कि आरोपी एक संगठित अपराध सिंडिकेट से जुड़े प्रतीत होते हैं और लगातार गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

संतोष देशमुख का मसाजोग गांव में पिछले साल 9 दिसंबर को अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगी और मुख्य आरोपी वाल्मिक कराड समेत आठ लोगों को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, और भारतीय दंड संहिता के तहत गिरफ्तार किया गया था।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, कराड और अन्य आरोपियों ने निजी फर्म अवाडा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड से 2 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी। फिरौती न देने पर उन्होंने कंपनी को काम बंद कराने की धमकी भी दी। आरोप है कि उन्होंने साजिश रची, अपहरण किया और हस्तक्षेप करने पर देशमुख पर जानलेवा हमला किया। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने देशमुख के शव को दैथाना फाटा में फेंक दिया।

मामले में चार आरोपियों — प्रतीक घुले, सुधीर सांगले, महेश केदार और जयराम चाटे — ने बरी करने का अनुरोध किया था। उनका दावा था कि वे निर्दोष हैं और राजनीतिक मंशा से झूठे मामले में फंसाए गए हैं।

राज्य सरकार की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कहा कि यदि आरोपियों को बरी कर दिया गया तो वे समान या बड़े अपराध दोहराने का खतरा हैं। अदालत ने गवाहों के बयान और अन्य दस्तावेजों को देखते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपियों की संलिप्तता स्पष्ट है, इसलिए उन्हें बरी नहीं किया जा सकता।

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