बिहार के 59% गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने वित्तीय विवरण का खुलासा नहीं किया: एडीआर रिपोर्ट

नई दिल्ली, 7 नवंबर: चुनाव सुधारों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बिहार में आधे से अधिक गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने अनिवार्य वित्तीय विवरण सार्वजनिक नहीं किए हैं। एडीआर के अनुसार, इन दलों ने न तो अपनी ऑडिट रिपोर्ट अपलोड की है और न ही ₹20,000 से अधिक के दान का विवरण निर्वाचन आयोग या राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देशभर में समीक्षा किए गए 275 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (Registered Unrecognized Political Parties – RUPPs) में से 184 बिहार में और 91 अन्य राज्यों में पंजीकृत हैं। इनमें से 163 दल (59.27%) ने वित्तीय पारदर्शिता से जुड़ी अनिवार्य जानकारी का खुलासा नहीं किया। इन दलों में से 113 दलों ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया था।

वहीं, केवल 67 दलों (24.36%) ने अपनी ऑडिट और चंदा रिपोर्ट सार्वजनिक की है। इन दलों ने सामूहिक रूप से ₹85.56 करोड़ की आय, ₹71.49 करोड़ का व्यय और ₹71.73 करोड़ के चंदे की घोषणा की।
रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली में पंजीकृत समता पार्टी ने सबसे अधिक ₹53.13 करोड़ की आय दर्ज की, जबकि सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) ने ₹9.59 करोड़ की आय की सूचना दी।

एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में निर्वाचन आयोग की हालिया कार्रवाई का भी उल्लेख किया है, जिसमें अगस्त और सितंबर 2024 में 32 गैर-मान्यता प्राप्त दलों को निष्क्रियता और नियमों के उल्लंघन के कारण सूची से हटा दिया गया था। इनमें से बिहार की राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी, जिसने जनवरी 2014 में पंजीकरण कराया था, ने सबसे अधिक आय घोषित की — उसकी पांच वर्षों की कुल आय ₹10.66 करोड़ रही, जो 2021-22 में ₹4.26 करोड़ के उच्चतम स्तर पर पहुंची थी। दिलचस्प बात यह है कि इस पार्टी ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि बिहार में पंजीकृत 28 गैर-मान्यता प्राप्त दलों ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, जबकि 2019-20 से 2023-24 के बीच उनकी संयुक्त आय ₹1.52 करोड़ रही।
एडीआर ने यह भी बताया कि 31 दलों ने केवल ऑडिट रिपोर्ट जमा की, लेकिन चंदे का विवरण नहीं दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि जिन दलों की आय और दान लगभग समान हैं, इससे संकेत मिलता है कि चंदा ही उनकी आय का मुख्य स्रोत है।

एडीआर ने निर्वाचन आयोग से अपील की है कि राजनीतिक दलों की वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जवाबदेही को मजबूत किया जा सके।

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