बिहार : कल्याणकारी योजनाओं पर केंद्रित मोदी के अभियान और ‘जंगल राज’ के लगातार जिक्र से राजग को मिला लाभ

नयी दिल्ली, 14 नवंबर। बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की प्रचंड जीत के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आक्रामक चुनावी अभियान, केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर लगातार जोर तथा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) शासनकाल को ‘जंगल राज’ के रूप में प्रस्तुत करने की रणनीति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इन तीनों तत्वों ने मिलकर चुनावी माहौल को राजग के पक्ष में मोड़ने में अहम भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में 13 चुनावी सभाओं को संबोधित किया और पटना में एक विशाल रोड शो किया। अपने भाषणों में उन्होंने ‘बिहारी अस्मिता’ और छठ पूजा जैसी सांस्कृतिक परंपराओं को विशेष रूप से रेखांकित किया। मोदी ने अपने भाषणों में कई बार यह कहा कि राजद-कांग्रेस गठबंधन ने सत्ता में रहते हुए “घुसपैठियों के प्रति नरम रुख अपनाया”, तथा राज्य के संसाधनों का दुरुपयोग कर “जनता के पैसे से मुनाफा कमाया।” इन आरोपों ने भाजपा के पारंपरिक नैरेटिव को मजबूती दी।

मोदी के अभियान का एक केंद्रीय मुद्दा रहा—राजद शासन के दौरान का कथित ‘जंगल राज’। प्रधानमंत्री हर सभा में लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के शासनकाल के संदर्भ देते हुए उस दौर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को प्रमुखता से उठाते रहे। उन्होंने युवा मतदाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि “जो युवा सिर्फ नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में जानते हैं, उन्हें परिवार के बुजुर्ग ‘जंगल राज’ का वास्तविक स्वरूप बताएं।” राजग नेताओं का मानना है कि यह मुद्दा विशेष रूप से उन मतदाताओं में प्रभावी रहा जिन्हें कानून-व्यवस्था चुनावी प्राथमिकता के रूप में दिखती है।

चुनावी अभियान के दौरान भाजपा ने बिहार की सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक परंपराओं को प्रमुखता देने की रणनीति अपनाई। छठ पर्व को बड़े उत्सव की तरह मनाया गया। चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में छठ पूजा में शामिल होकर प्रतीकात्मक संदेश दिया। राहुल गांधी द्वारा उनकी पूजा में भागीदारी को “ड्रामा” कहने पर मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा और कहा कि “कांग्रेस के नामदार भगवान राम के मंदिरों तक नहीं जाते, न ही निषाद राज, शबरी माता और महर्षि वाल्मीकि को समर्पित स्थलों पर मत्था टेकते हैं।” मोदी ने इसे दलित और पिछड़े वर्गों के प्रति कांग्रेस की “नापसंदगी” करार दिया।

मोदी ने अपना चुनाव अभियान समस्तीपुर से शुरू किया, जो कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली है। राजग सरकार ने समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ प्रदान किया था, और प्रधानमंत्री ने इसे पिछड़े वर्गों के सम्मान से जोड़ा। इसके बाद उन्होंने मुजफ्फरपुर, छपरा, नवादा, आरा, कटिहार, सहरसा, भागलपुर, अररिया, भभुआ, औरंगाबाद, बेतिया और सीतामढ़ी में रैलियां कीं। इन सभाओं में उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं—विशेषकर गरीबों के लिए आवास, मुफ्त अनाज, महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता और स्वास्थ्य योजनाओं—को प्रमुखता से प्रस्तुत किया।

उन्होंने ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद भी किया और आग्रह किया कि वे प्रत्येक घर तक कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाएं।

बिहार ने 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ 2020 और 2025 के विधानसभा चुनावों में भी मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस बार भी राजग की जीत में मोदी की व्यक्तिगत लोकप्रियता, कल्याणकारी योजनाओं का व्यापक विस्तार और ‘जंगल राज’ के नैरेटिव का बड़ा योगदान रहा।

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