भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संगठनात्मक अनुशासन को मजबूती देने के मद्देनज़र बड़ा कदम उठाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह, पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया और पूर्व विधान पार्षद अनिल कुमार को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। पार्टी ने इन नेताओं को पहले भी चेतावनी जारी की थी, लेकिन सुधार नहीं होने पर यह कदम उठाया गया।
पार्टी के मुख्यालय प्रभारी अरविंद शर्मा के अनुसार, इन नेताओं को पिछले कुछ दिनों से भाजपा के आधिकारिक फैसलों और निर्देशों के खिलाफ काम करते हुए देखा गया। कुछ मामलों में वे विपक्षी उम्मीदवारों के समर्थन में सक्रिय दिखे, जबकि कई मौकों पर उन्होंने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ वातावरण तैयार करने की कोशिश की। पार्टी ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए जांच कराई और प्रमाण मिलने पर तीनों नेताओं को निलंबित कर दिया।
वहीं, कटिहार के राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है। स्थानीय प्राधिकरण से एमएलसी अशोक अग्रवाल और उनकी पत्नी तथा कटिहार नगर निगम की मेयर उषा अग्रवाल पर भी आरोप है कि उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री तथा भाजपा प्रत्याशी तारकिशोर प्रसाद के खिलाफ अंदरूनी तौर पर माहौल बनाने और एनडीए उम्मीदवार को हराने की कोशिश की। इन मामलों की जांच अभी जारी है और पार्टी नेतृत्व ने संकेत दिया है कि दोषी पाए जाने पर आगे भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।
इस घटनाक्रम को भाजपा के भीतर अनुशासन और संगठनात्मक मजबूती से जोड़कर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी का यह कदम केवल दंडात्मक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक सख्त संदेश भी है कि चुनावी समय में किसी भी प्रकार की गुटबाजी, असंतोष या आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ काम करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाजपा चाहती है कि सभी नेता और कार्यकर्ता पार्टी की रणनीति और लक्ष्य पर केंद्रित रहें।
विपक्ष इसे भाजपा की अंदरूनी नाराज़गी और मतभेदों की निशानी बता रहा है, लेकिन भाजपा का तर्क है कि मजबूत संगठन की नींव कड़े अनुशासन पर ही टिकी होती है। चुनावी माहौल के बीच पार्टी के इस निर्णय ने न केवल संगठनात्मक पंक्ति को दुरुस्त करने का संकेत दिया है, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि शीर्ष नेतृत्व किसी भी ढिलाई के मूड में नहीं है।
