पाकिस्तान में जन्मी महिला पूनम को दो दशक बाद मिली भारतीय नागरिकता, परिवार ने कहा– “यह दिवाली का सबसे बड़ा उपहार”

रामपुर/लखनऊ, 28 अक्टूबर – पाकिस्तान के स्वात क्षेत्र से आई पूनम, जो पिछले दो दशकों से भारत में रह रही थीं, को आखिरकार भारतीय नागरिकता मिल गई है। उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में लंबे समय से निवास कर रहीं पूनम को यह नागरिकता नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) के तहत प्रदान की गई है। उनके परिवार ने इसे “दिवाली का तोहफा” बताते हुए खुशी जाहिर की है।

38 वर्षीय पूनम वर्ष 2004 में अपने भाई गगन के साथ पाकिस्तान के स्वात क्षेत्र से भारत आई थीं। उस समय वहां आतंकवाद और हिंसा तेजी से बढ़ रही थी, जिसके चलते उनके पिता—जो थोक खाद्य व्यापारी थे—ने उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें भारत भेज दिया था। भारत आने के बाद पूनम शुरू में दिल्ली और रामपुर के बीच आती-जाती रहीं।

वर्ष 2005 में पूनम ने रामपुर के स्थानीय व्यवसायी पुनीत कुमार से विवाह किया। विवाह के बाद वे स्थायी रूप से रामपुर में बस गईं। 2013 तक वह अपने परिवार से मिलने पाकिस्तान जाती रहीं, लेकिन पाकिस्तानी पहचान पत्र और पासपोर्ट का नवीनीकरण न होने के कारण उनकी पाकिस्तान यात्राएं बंद हो गईं।

पूनम के भाई गगन को 2016 में ही भारतीय नागरिकता मिल गई थी, जबकि पूनम का आवेदन कई बार खारिज हुआ। हालांकि, नागरिकता संशोधन कानून के प्रावधानों के तहत इस वर्ष अंततः उन्हें भी भारतीय नागरिकता मिल गई।

पुनीत कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा,

“दिवाली से ठीक पहले पूनम को भारतीय नागरिकता मिलना हमारे परिवार के लिए किसी त्योहार के उपहार से कम नहीं है। इस बार की दिवाली हमारे लिए बेहद खास होगी।”

इस दंपति का एक बच्चा भी है। परिवार ने बताया कि वे अब लखनऊ जाकर नागरिकता प्रक्रिया की शेष औपचारिकताएं पूरी करेंगे।

पूनम ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा,

“अब मैं जल्द से जल्द अपना आधार, पैन और अन्य पहचान पत्र बनवाना चाहती हूं ताकि मैं पूरी तरह एक भारतीय नागरिक की तरह जीवन जी सकूं। अगली बार जब मैं अपने पैतृक घर मिंगोरा (स्वात) जाऊंगी, तो भारतीय पासपोर्ट लेकर जाऊंगी।”

रामपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विद्यासागर मिश्रा ने पुष्टि की कि पूनम की नागरिकता प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सभी आवश्यक दस्तावेज संबंधित एजेंसियों से सत्यापित कर लिए गए हैं।

पूनम का यह सफर, जो आतंक से बचाव के लिए शुरू हुआ था, अब भारतीय नागरिकता के साथ एक नई पहचान और स्थायित्व में बदल गया है — ठीक दीपावली के उजाले की तरह।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *