राज्य कर विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को लक्ष्य प्राप्ति और पारदर्शिता पर दिया विशेष जोर
लखनऊ, 5 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को राज्य कर विभाग की जोनवार राजस्व प्राप्तियों की समीक्षा करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि अब विभाग में फील्ड पोस्टिंग का एकमात्र आधार ‘परफॉर्मेंस’ होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि फील्ड में उन्हीं अधिकारियों को तैनात किया जाए जिनकी छवि स्वच्छ हो और जो लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हों।
मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में सभी जोनल अधिकारियों से सीधे संवाद किया और कहा कि राजस्व संग्रह में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और ईमानदारी सर्वोपरि है। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि धनतेरस और दीपावली जैसे त्योहारों पर अनावश्यक छापेमारी या जांच से बचा जाए ताकि व्यापारियों और उद्यमियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि व्यापारी-उद्यमी राज्य की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ हैं, और उनके साथ संवाद और विश्वास जरूरी है।
बैठक के दौरान अवगत कराया गया कि चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में सितंबर तक राज्य कर विभाग को कुल ₹55,000 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई है, जिसमें से ₹40,000 करोड़ जीएसटी और ₹15,000 करोड़ वैट/नॉन-जीएसटी से प्राप्त हुए हैं। गत वर्ष की इसी अवधि में ₹55,136.29 करोड़ की प्राप्ति हुई थी। इस वर्ष विभाग को ₹1.75 लाख करोड़ का लक्ष्य प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में ₹18,700 करोड़ अधिक है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि बरेली, झांसी और कानपुर प्रथम जैसे जोनों में कोई भी खंड ऐसा नहीं है जिसका प्रदर्शन 50% से कम हो, जो कि एक संतोषजनक संकेत है। वहीं कुछ जोनों में प्रदर्शन 55 से 58 प्रतिशत के बीच रहा, जहां सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कमजोर प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और सुधार के लिए तत्काल कार्ययोजना बनाई जाए।
बैठक में यह भी बताया गया कि बरेली (64.2%), सहारनपुर (63.7%), मेरठ (63.0%), गोरखपुर (62.5%) और झांसी (62.1%) जैसे जोनों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा है। मुख्यमंत्री ने सभी जोनों की संभागवार और खंडवार समीक्षा करते हुए कहा कि 50 प्रतिशत से कम प्रदर्शन वाले खंडों की स्थिति की जांच कर जल्द सुधार लाया जाए।
मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे स्वयं बाजार में जाकर मार्केट मैपिंग करें, व्यापारियों से संवाद करें और उनकी समस्याएं समझें। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी पंजीकरण बढ़ाने और समय से रिटर्न फाइलिंग सुनिश्चित करने के लिए विभागीय स्तर पर ठोस प्रयास किए जाएं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मंडी शुल्क में कमी से किसानों को राहत मिली है और साथ ही राजस्व में भी वृद्धि हुई है। यह इस बात का प्रमाण है कि पारदर्शी और सरल कर प्रणाली सभी के लिए लाभकारी होती है।
बैठक में फर्जी फर्मों और फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के मामलों पर भी चर्चा हुई। अधिकारियों ने जानकारी दी कि अब तक 104 बोगस फर्मों के माध्यम से ₹873.48 करोड़ के फर्जी आईटीसी की पहचान की गई है, जिन पर सख्त जांच और दंडात्मक कार्रवाई जारी है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि फर्जीवाड़े पर कड़ी नजर रखी जाए और किसी भी तरह की ढिलाई न बरती जाए।
मुख्यमंत्री योगी ने यह भी कहा कि करदाताओं की सुविधा और उनका विश्वास ही स्थायी राजस्व वृद्धि का मूल आधार है। उन्होंने अधिकारियों से ई-गवर्नेंस प्रणाली को और सशक्त बनाने, करदाताओं के लिए मित्रवत वातावरण तैयार करने तथा करदाता जनसहजता को बढ़ावा देने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि “राजस्व संग्रह की गति और पारदर्शिता, दोनों पर समान रूप से ध्यान देना आवश्यक है। विकसित उत्तर प्रदेश और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्य कर विभाग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर अधिकारी यह सुनिश्चित करे कि कर संग्रह का हर एक रुपया प्रदेश के विकास में सहयोग करे।”
मुख्यमंत्री के इन निर्देशों से स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार अब प्रदर्शन आधारित प्रशासन को प्राथमिकता दे रही है, जहां पारदर्शिता, जवाबदेही और जनसहभागिता को आधार बनाकर राजस्व प्रणाली को सशक्त किया जाएगा।
