नेहरू दस्तावेजों को लेकर सरकार ने सोनिया गांधी की आलोचना की

51 बक्से दस्तावेज पीएमएमएल को लौटाने की मांग, सार्वजनिक अभिलेखागार में रखने पर जोर

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर । सरकार ने बुधवार को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की कड़ी आलोचना करते हुए जवाहरलाल नेहरू से जुड़े 51 बक्से दस्तावेज प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) को वापस करने की मांग की। सरकार ने कहा कि ये महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अभिलेख सार्वजनिक अभिलेखागार में होने चाहिए, न कि किसी बंद कमरे में, ताकि विद्वानों, शोधकर्ताओं और संसद को नेहरू काल से जुड़े दस्तावेजों तक पहुंच मिल सके।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि नेहरू से जुड़े दस्तावेज पीएमएमएल से “लापता” नहीं हैं, क्योंकि उनका स्थान ज्ञात है। उन्होंने कहा कि ‘लापता’ होने का अर्थ यह होता है कि किसी वस्तु की मौजूदगी का पता न हो, जबकि इन दस्तावेजों के मामले में यह स्पष्ट है कि वे कहां और किसके पास हैं।

दरअसल, भाजपा सांसद संबित पात्रा ने लोकसभा में प्रश्न किया था कि क्या 2025 में पीएमएमएल के वार्षिक निरीक्षण के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित कोई दस्तावेज गायब पाया गया है। इसके जवाब में संस्कृति मंत्री ने लिखित रूप से स्पष्ट किया था कि निरीक्षण के दौरान ऐसा कोई दस्तावेज गायब नहीं पाया गया।

इस पर कांग्रेस ने सरकार से माफी की मांग करते हुए कहा था कि जब कोई दस्तावेज लापता नहीं पाया गया, तो इस मुद्दे को बेवजह क्यों उठाया गया। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि विवाद दस्तावेजों के “लापता” होने को लेकर नहीं, बल्कि उनके सार्वजनिक अभिलेखागार से बाहर होने को लेकर है।

शेखावत ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कागजातों के 51 बक्से वर्ष 2008 में विधिवत प्रक्रिया के तहत गांधी परिवार को सौंपे गए थे और पीएमएमएल में इससे जुड़े रिकॉर्ड मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि पीएमएमएल द्वारा जनवरी और जुलाई 2025 में इन दस्तावेजों को वापस करने के लिए कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन अब तक उन्हें लौटाया नहीं गया।

संस्कृति मंत्री ने कहा कि इतिहास को चुनकर नहीं लिखा जा सकता और लोकतंत्र की बुनियाद पारदर्शिता पर टिकी होती है। उन्होंने कहा कि मूल दस्तावेजों तक सार्वजनिक पहुंच सुनिश्चित करना एक नैतिक जिम्मेदारी है, जिसे सोनिया गांधी और उनके परिवार को निभाना चाहिए।

उन्होंने सवाल उठाया कि इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दस्तावेज अब तक सार्वजनिक अभिलेखागार से बाहर क्यों रखे गए हैं और क्या कुछ छिपाया जा रहा है। शेखावत ने कहा कि ये निजी पारिवारिक दस्तावेज नहीं हैं, बल्कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री से जुड़े महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अभिलेख हैं, जिन्हें सार्वजनिक संस्थान में रखा जाना चाहिए।

नेहरू दस्तावेजों को लेकर यह मुद्दा लंबे समय से सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच विवाद का विषय बना हुआ है, और पीएमएमएल के भीतर भी एक वर्ग इन दस्तावेजों की वापसी की मांग कर रहा है।

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