पटना, 20 नवंबर – बिहार में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को अपनी दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही उन्होंने अपने 26 सदस्यीय नए मंत्रिमंडल का भी गठन किया, जिसमें अनुभवी नेताओं के अनुभव और नए चेहरों की ताजगी का संतुलन देखने को मिलता है। मंत्रिमंडल के गठन में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को विशेष महत्व दिया गया है।
नीतीश कुमार के लगभग 19 वर्षों के सत्ता अनुभव और उनके नेतृत्व में गठित सरकार ने अपने पुराने मंत्रियों को दोबारा मौका देते हुए नई ऊर्जा के लिए नए चेहरों को शामिल किया है। सूची के अनुसार, 26 मंत्रियों में 10 पहली बार मंत्री बने हैं, जबकि बाकियों को पुनः जिम्मेदारी दी गई है। इस मंत्रिमंडल में भाजपा और जदयू दोनों की प्रतिनिधित्व संतुलित है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को बरकरार रखा गया है, जो पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे थे। जदयू ने अपने अनुभवी मंत्रियों बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय कुमार चौधरी और श्रवण कुमार को भी पुनः शामिल किया। भाजपा ने पूर्व मंत्रियों मंगल पांडेय, सुरेंद्र प्रसाद मेहता और नितिन नविन को दोबारा मंत्रिपरिषद में जगह दी है। इसके अलावा, पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और अन्य मंत्री नारायण प्रसाद भी मंत्रिमंडल में लौटे हैं।
विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्ष 2022 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नीतीश के अलग होने के बाद जायसवाल और नारायण प्रसाद ने अपना पद खो दिया था। पिछली बार जदयू के राजग में लौटने पर भी उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिली थी, लेकिन इस बार उनका पुनः मंत्रिपरिषद में स्वागत किया गया है।
राजग के अन्य सहयोगी दलों में हम (सेक्युलर) ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष कुमार सुमन को मंत्री बनाया है। नए चेहरों में जमुई से भाजपा विधायक और शूटिंग खिलाड़ी रह चुकीं श्रेयसी सिंह और औराई की विधायक रमा निषाद शामिल हैं। रमा निषाद को पार्टी के ईबीसी/मल्लाह समुदाय के प्रति पहुँच बढ़ाने के कदम के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा, रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है, हालांकि वे विधायक नहीं हैं। माना जा रहा है कि उन्हें छह महीने के भीतर विधान परिषद भेजा जा सकता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता राम कृपाल यादव ने भी मंत्रिमंडल में वापसी की है। उन्होंने दानापुर विधानसभा सीट से राजद के रितलाल यादव को हराया था। लोजपा (रामविलास) से संजय कुमार सिंह और संजय कुमार को मंत्री पद दिया गया।
मंत्रिमंडल में तीन महिला मंत्री हैं – जदयू की लेसी सिंह और पहली बार मंत्री बनीं श्रेयसी सिंह और रमा निषाद। मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व केवल जामा खान के माध्यम से है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मंत्रिमंडल का गठन नीतीश कुमार के सामाजिक संतुलन साधने के प्रयास को दर्शाता है। कुल 27 सदस्यों में से आठ सवर्ण, पांच दलित, एक मुस्लिम और 13 ओबीसी/ईबीसी वर्गों से हैं। दलीय आधार पर भाजपा को 14, जदयू को आठ, लोजपा (रामविलास) को दो, जबकि हम (से) और रालोमो को एक-एक मंत्री पद मिला है।
नए मंत्रिमंडल में कुछ पूर्व मंत्रियों को जगह नहीं मिली है, जिनमें नीतीश मिश्रा, जीवेश मिश्रा और संजय सरावगी शामिल हैं। राज्य मंत्रिमंडल की अधिकतम सीमा मुख्यमंत्री सहित 36 सदस्य है, जिससे भविष्य में और भी विस्तार की संभावना बनी रहती है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस मंत्रिमंडल में अनुभवी नेताओं का अनुभव और नए चेहरों की ऊर्जा बिहार की राजनीति में संतुलन और गतिशीलता बनाए रखने का प्रयास है। साथ ही, सामाजिक और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके मुख्यमंत्री ने राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक दक्षता दोनों पर ध्यान दिया है।
