नीट ने शिक्षा का किया व्यावसायीकरण, इसकी समीक्षा जरूरी : लोकसभा में बोले कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर

नई दिल्ली, 4 दिसंबर। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान गुरुवार को कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने चिकित्सा प्रवेश परीक्षा—राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट)—की जोरदार समीक्षा की मांग उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि नीट ने छात्रों में मेरिट को बढ़ावा देने के बजाय निजी कोचिंग संस्थानों को मजबूत किया है और स्कूली शिक्षा को कमजोर करते हुए शिक्षा का व्यावसायीकरण तेज किया है।

विरुधुनगर से सांसद टैगोर ने कहा कि केंद्र सरकार की एक समिति ने देश में बढ़ती कोचिंग संस्कृति में कई कमियां पाई हैं। उन्होंने बताया कि समिति ने जेईई, नीट और सीयूईटी जैसी परीक्षाओं के लिए छात्रों की अत्यधिक तैयारी के बोझ को देखते हुए सुझाव दिए थे कि कोचिंग के घंटे सीमित किए जाएं, साल में दो बार परीक्षाएं हों और बोर्ड परीक्षाओं के अंकों को मिलाकर हाइब्रिड मूल्यांकन प्रणाली लागू की जाए।

टैगोर ने वर्तमान “सिंगल-स्टेक्स परीक्षा” प्रणाली को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कहा कि इस मॉडल का लाभ केवल अमीर परिवारों, कोचिंग संस्थानों और ‘डमी स्कूल’ चलाने वाले नेटवर्क को मिलता है। उन्होंने कहा, “गांवों के छात्रों, सरकारी स्कूलों के बच्चों, एससी-एसटी और ओबीसी समुदायों को प्रतिभा की कमी नहीं, बल्कि कोचिंग के महंगे ढांचे का खर्च नहीं उठा पाने के कारण मौका नहीं मिल पाता।”

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा मंत्री को यह समझना चाहिए कि नीट ने मेरिट में सुधार नहीं किया है, बल्कि शिक्षा के बाजारीकरण को बढ़ाया है। “इस परीक्षा ने निजी शिक्षा जगत को मजबूत किया है और स्कूलों को कमजोर किया है,” टैगोर ने कहा। उन्होंने सरकार से मांग की कि नीट परीक्षा के पूरे ढांचे और समानता पर उसके प्रभाव की विस्तृत समीक्षा की जाए। साथ ही, स्कूली शिक्षा को मजबूत करने के लिए स्पष्ट रोडमैप तैयार करने और कोचिंग गठजोड़ को समाप्त करने के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।

शून्यकाल के दौरान ही सांगली से सांसद विशालदादा पाटिल ने स्कूली बच्चों पर बढ़ते मानसिक दबाव और आत्महत्या की घटनाओं का मुद्दा उठाया। उन्होंने दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल के एक छात्र की आत्महत्या का उल्लेख किया, जिसके बारे में परिजनों का आरोप है कि बच्चा शिक्षकों के उत्पीड़न से परेशान था। पाटिल ने बताया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करे। पाटिल ने कहा, “शिक्षकों के लिए एक मिसाल कायम करनी होगी, ताकि यह स्पष्ट संदेश जाए कि यदि वे छात्रों को परेशान करते हैं या उन्हें मानसिक रूप से चोट पहुंचाते हैं तो कड़ी कार्रवाई होगी।”

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