नयी दिल्ली, 9 दिसंबर । भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मंगलवार को लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कई पूर्व निर्वाचन आयुक्तों को राज्यपाल और मंत्री बना दिया, लेकिन अब वह निर्वाचन आयोग की पारदर्शिता की बात कर रही है।
दुबे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने संस्थाओं को कमजोर किया है और संविधान में राष्ट्रपति के अधिकारों को संशोधन के माध्यम से घटाकर उन्हें रबर स्टांप बना दिया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) में कांग्रेस का कार्यकर्ता 10 साल तक अध्यक्ष रहा, और पूर्व निर्वाचन आयुक्त टी एन शेषन को अहमदाबाद में भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार बनाया गया। एम एस गिल को सेवानिवृत्त होने के बाद मंत्री बनाया गया, जबकि नवीन चावला, जिन्होंने मदर टेरेसा पर किताब लिखी थी, को मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनाया गया।
भाजपा सांसद ने परिवारवाद का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा में अध्यक्ष को अधिकतम दो कार्यकाल मिलते हैं, जबकि कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा कोई स्थायी अध्यक्ष नहीं बनता। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक की पारिवारिक नेतृत्व पर भी टिप्पणी की, और शरद पवार को अपवाद माना।
दुबे ने यह भी बताया कि ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) 1987 में पायलट परियोजना के रूप में राजीव गांधी द्वारा शुरू की गई थी और 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार ने इसके व्यापक उपयोग का निर्णय लिया।
अंत में उन्होंने कांग्रेस पर वोट बैंक तुष्टीकरण और धार्मिक मामलों में विरोध का आरोप लगाया। दुबे ने कहा कि कांग्रेस ने सोमनाथ मंदिर और अयोध्या पर विरोध किया और आज तक सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी वहां नहीं गए।
