नयी दिल्ली, 11 दिसंबर—राज्यसभा में चुनाव सुधारों पर हुई विस्तृत चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अजय माकन ने सरकार और निर्वाचन आयोग पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग अब ‘‘सरकार की कठपुतली’’ बनकर काम कर रहा है और देश में निष्पक्ष चुनाव के तीन बुनियादी स्तंभ—समान अवसर, पारदर्शिता और विश्वसनीयता—को व्यवस्थित तरीके से कमजोर किया जा रहा है।
चर्चा की शुरुआत करते हुए माकन ने कहा कि भारत भले ही खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और लोकतंत्र की जननी कहे, लेकिन चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और भरोसे की स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग मशीन से पढ़े जाने योग्य मतदाता सूची उपलब्ध नहीं करा रहा, आईपी एड्रेस छिपा रहा और 45 दिन के भीतर महत्वपूर्ण सबूत नष्ट कर देता है।
माकन ने निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया कि उसका काम अब भरोसा पैदा करना नहीं, बल्कि संदेह बढ़ाना बन गया है। उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि मतदान प्रतिशत में असामान्य वृद्धि दर्ज की गई, जो आयोग की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करती है। उनके अनुसार, हरियाणा में मतदान का प्रतिशत 5 अक्टूबर की देर रात जारी आंकड़े में 61.19 प्रतिशत था, जो अगले दिन 65.65 प्रतिशत हो गया और मतगणना के दिन 68 प्रतिशत तक पहुंच गया—जो ‘‘चौंकाने वाली वृद्धि’’ है।
उन्होंने कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि वहां फर्जी आवेदन फार्म जमा कराने के मामले में जांच कर रही सीआईडी को आयोग ने जरूरत के अनुसार कंप्यूटरों के आईपी एड्रेस और पोर्ट नंबर उपलब्ध नहीं कराए। माकन ने आरोप लगाया कि 6,018 मतदाताओं के नाम हटाने से जुड़े मामलों में 5,994 आवेदन फर्जी पाए गए, लेकिन आयोग ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
चर्चा के दौरान माकन ने राजनीतिक दलों के बीच वित्तीय असमानता पर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि 2004 में भाजपा का बैंक बैलेंस 87.96 करोड़ रुपये था, जो बढ़कर 10,107 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि कांग्रेस का बैलेंस 38.48 करोड़ से सिर्फ 133.97 करोड़ रुपये तक पहुंच पाया। उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 तक कांग्रेस-भाजपा की आय-व्यय का अनुपात 60:40 था, लेकिन 2019 तक यह उलटकर 8:92 हो गया—यानी भाजपा की आय में तेज़ी से वृद्धि हुई और असमानता चरम पर पहुंच गई।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव से एक महीने पहले कांग्रेस के बैंक खातों को सील कर दिया गया और आयकर विभाग ने 210 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा। ‘‘हमारे खाते से 133 करोड़ रुपये काट लिए गए। ऐसे में प्रमुख विपक्षी दल चुनाव की तैयारी कैसे करे?’’ माकन ने पूछा।
उन्होंने दावा किया कि सरकार ईडी और आयकर विभाग जैसे संस्थानों का दुरुपयोग कर विपक्ष को आर्थिक रूप से कमजोर कर रही है और उद्योगपतियों पर दबाव डालकर कांग्रेस को चंदा देने से रोक रही है। ‘‘उद्योगपति 95:5 के अनुपात में भी चंदा देने से डरते हैं,’’ माकन ने कहा।
अपने संबोधन के अंत में माकन ने जोर देकर कहा कि जीवंत लोकतंत्र के लिए समान अवसर, पारदर्शिता और विश्वसनीयता अनिवार्य हैं, लेकिन ‘‘राजग सरकार इन तीनों मानकों पर फेल’’ हो गई है। उन्होंने निर्वाचन आयोग से अपनी विश्वसनीयता बहाल करने की अपील की और सरकार से लोकतंत्र को बचाने के लिए जिम्मेदारी निभाने की मांग की।
