नगर निकाय चुनावों में विधानसभा चुनावों की मतदाता सूची अपनाएगा महाराष्ट्र निर्वाचन आयोग

मुंबई, 4 नवंबर : मुंबई उच्च न्यायालय को मंगलवार को बताया गया कि महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग आगामी नगर निकाय चुनावों के लिए विधानसभा चुनावों की मतदाता सूची का ही उपयोग करेगा। यह जानकारी आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने न्यायमूर्ति आर.आई. चागला और न्यायमूर्ति फरहान दुबाश की खंडपीठ के समक्ष दी।

यह जानकारी 18 वर्षीय युवती रूपिका सिंह की एक याचिका की सुनवाई के दौरान दी गई, जिसमें उन्होंने शिकायत की थी कि उन्हें 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद भी मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं किया गया। सिंह ने दावा किया कि अप्रैल 2025 में 18 वर्ष की होने के बावजूद उनका आवेदन इसलिए स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि राज्य में मतदाता सूची में संशोधन की अंतिम तिथि एक अक्टूबर 2024 थी।

याचिकाकर्ता ने अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी उनके आवेदन को स्वीकार करें और उसे समयबद्ध रूप से निपटाएं। साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की कि राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देशित किया जाए कि याचिका के निपटारे तक उनका नाम बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव की मतदाता सूची में शामिल किया जाए।

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि नगर निकाय चुनावों के लिए अलग से मतदाता सूची तैयार नहीं की जाएगी। इसके बजाय नवंबर 2024 में हुए विधानसभा चुनावों की मतदाता सूची को ही आधार बनाया जाएगा। इस बीच, सभी नगर निगमों के लिए मतदाता सूची का मसौदा 6 नवंबर को प्रकाशित किया जाएगा।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि जब तक रूपिका सिंह का नाम मतदाता के रूप में शामिल नहीं किया जाता, तब तक वह बीएमसी चुनावों में मतदान नहीं कर सकेंगी। उन्होंने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करने का प्रयास करने पर उन्हें यह विकल्प नहीं मिला कि वह अपनी जन्मतिथि चुन सकें, क्योंकि सिस्टम केवल उन नागरिकों के लिए खुला था जो 2 अक्टूबर 2024 से पहले 18 वर्ष के हो चुके थे।

सिंह ने बाद में ऑफलाइन आवेदन भी जमा करने की कोशिश की, लेकिन उसे भी अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद उन्हें पता चला कि स्थानीय निकाय चुनावों में मतदान के लिए पात्र वही युवा नागरिक होंगे, जिनका नाम 1 जुलाई 2025 तक मतदाता सूची में शामिल हो जाएगा।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उनके आवेदन को अस्वीकार करना उनके संवैधानिक मताधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। इस मामले पर उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई बृहस्पतिवार को होगी।

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