देश की आजादी के लिए शहीद हुई थीं वीरांगना ऊदादेवी: कौशल

सरोजनीनगर। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता कौशल किशोर ने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय सिपाहियों ने राजधानी के सिकंदरबाग में शरण ले रखी थी। इन भारतीय सिपाहियों पर ब्रिटिश सैनिकों ने हमला बोल दिया। इस नरसंहार में दो हजार सैनिक शहीद हो गये थे। इस दौरान ऊदादेवी ने पुरूष की पोषक में पीपल के पेड़ पर चढ़कर 36 ब्रिटिश सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। जब उनकी गोलिया खत्म हो गई तो वह ब्रिटिश सैनिक की गोली से देश की आजादी के लिए शहीद हुई थी। वह शनिवार को बंथरा नगर पंचायत चेयरमैन प्रतिनिधि द्वारा आयोजित वीरांगना ऊदा देवी के शहीदी दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर पूर्व सांसद रीना चौधरी ने कहा कि वीरांगना ऊदा देवी देश के लिए शहीद हुई थी, लेकिन अभी तक उनका नाम इतिहास में दर्ज नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि वीरांगना ऊदा देवी का नाम इतिहास में दर्ज कराने के लिए पासी समाज को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। उन्होंने कहा कि जल्द सरकार को एक मांग पत्र भेजकर कानपुर रोड स्थित कटी बगिया तिराहे को महाराजा लाखन पासी तिराहा किये जाने की मांग की जाएगी। कार्यक्रम के दौरान मोहनलालगंज की पूर्व विधायक चन्द्रा रावत ने कहा कि सरकार में बैठे पासी समाज के मंत्रियों को वीरांगना ऊदा देवी का नाम इतिहास में दर्ज करने की मांग करनी चाहिए, लेकिन वह अपनी कुर्सी जाने के डर से वीरांगना ऊदा देवी का नाम इतिहास में दर्ज करने की मांग नहीं कर पाते। कार्यक्रम का संचालन राज किशोर पासी ने किया, जबकि इस श्रद्धांजलि समारोह को अनुसूचित मोर्चा भाजपा अवध क्षेत्र के अध्यक्ष भगवती प्रसाद रावत, पूर्व जिला पंचायत सदस्य रज्जनलाल रावत, चेयरमैन प्रतिनिधि रंजीत रावत, प्रधान सरवन रावत, राकेश रावत, दीनानाथ रावत एवं विपिन रावत ‘पीनू’, भाकियू (लोकशक्ति) के प्रदेश महासचिव देवेन्द्र कुमार पासी उर्फ बब्लू भइया, पूर्व प्रधान रामपाल रावत मौजूद रहे।
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