दिग्विजय सिंह ने भागवत से माफी की मांग की, कहा – संघ की तुलना हिंदू धर्म से अपमानजनक

भोपाल: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने संघ के पंजीकृत न होने की तुलना हिंदू धर्म से कर सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों लोगों की आस्था का अपमान किया है। सिंह ने भागवत को पत्र लिखकर इस बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आग्रह किया।

सिंह ने अपने पत्र में लिखा, “संघ को पंजीकृत न कराने की तुलना हिंदू धर्म से कर आपने सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों लोगों का अपमान किया है। आपके इस वक्तव्य की मैं घोर भर्त्सना करता हूं।” उन्होंने कहा कि आरएसएस कभी भी हिंदू धर्म का पर्याय नहीं बन सकता, क्योंकि हिंदू धर्म की जड़ें हजारों साल पुरानी हैं।

दरअसल, भागवत ने रविवार को बेंगलुरु में कहा था कि आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी और इसे ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं थी। आजादी के बाद भी भारत सरकार ने इसे अनिवार्य नहीं बनाया। भागवत के इस बयान को दिग्विजय सिंह ने ऐतिहासिक रूप से गलत और सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया।

सिंह ने यह भी सवाल उठाया कि संघ को आयकर से छूट किस आदेश के तहत मिली और संगठन ने अपने करोड़ों रुपये के व्यय का हिसाब क्यों नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आज देश में लाखों स्वयंसेवी संगठन पंजीकृत हैं और अपने आय-व्यय का विवरण देते हैं, जबकि संघ ने शताब्दी के सफर में यह जिम्मेदारी नहीं निभाई। सिंह ने कहा कि संघ स्वयं को धर्म का प्रतिनिधि बताकर अहंकार और अज्ञान दिखाता है।

कांग्रेस नेता ने भागवत से कहा कि सनातन धर्म की तुलना संघ से करना अनुचित है और उन्हें करोड़ों हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए। सिंह ने जोर देकर कहा कि वेद-पुराण सदियों से हिंदू धर्म मानने वालों की आस्था के केंद्र हैं और दुनिया के किसी भी धर्म का पंजीकरण नहीं कराया जाता। उन्होंने भागवत से यह शब्द वापस लेने और खेद व्यक्त करने का साहस दिखाने को कहा।

इस पर मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पलटवार किया। मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि दिग्विजय सिंह बिना तथ्यों के आरोप लगा रहे हैं और मीडिया में सुर्खियों में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सिंह का इतिहास विवादित रहा है और उनके आरोप राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित हैं।

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