डीजीजीआई की बड़ी कार्रवाई: यूपी-एमपी की 20 लोहे की फर्मों पर ₹94 करोड़ की टैक्स देनदारी, कामधेनु ब्रांड से जुड़ा टैक्स घोटाला बेनकाब

लखनऊ। वस्तु एवं सेवाकर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) की लखनऊ जोनल इकाई ने टैक्स चोरी के एक बड़े रैकेट का खुलासा किया है। जांच में सामने आया कि कामधेनु और के-2 ब्रांड की सरिया की करोड़ों की बिक्री बिना टैक्स इनवॉइस के की गई। इस मामले में झांसी, सागर, दतिया, लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और नोएडा सहित दो दर्जन जिलों से जुड़ी 20 फर्मों और व्यक्तियों को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया है।

डीजीजीआई की जांच के अनुसार, सितंबर 2019 से जून 2023 के बीच इन फर्मों ने कच्चे बिल, नकद भुगतान और फर्जी डिस्काउंट इनवॉइस के जरिये टैक्स चोरी की। प्रमुख आरोपियों में मीना काशी मेटल इंडस्ट्रीज एलएलपी (झांसी व सागर यूनिट), मीना काशी री-रोलर्स प्राइवेट लिमिटेड (दतिया) और कामधेनु लिमिटेड के नाम शामिल हैं।

जांच में पाया गया कि ये कंपनियां गुरुग्राम स्थित कामधेनु लिमिटेड की फ्रेंचाइजी के रूप में कामधेनु और कामधेनु एनएक्सटी ब्रांड के टीएमटी बार का उत्पादन कर रही थीं। कंपनी के प्रतिनिधि यह तय करते थे कि कौन-सी खेप वैध इनवॉइस पर और कौन-सी “कच्चे बिल” पर भेजी जाएगी, जिससे ब्रांड स्तर पर मिलीभगत के संकेत मिले हैं।

डीजीजीआई को एक गुप्त सूचना के बाद लखनऊ के जानकीपुरम स्थित वितरक रिप्पन कंसल के यहां छापा मारना पड़ा। जांच में ‘शकुन’ नामक सॉफ्टवेयर से हजारों बिक्री वाउचर मिले, जिनमें ‘X’ मार्क वाली एंट्रीज़ बिना बिल की बिक्री को दर्शाती थीं।

जांच में टैक्स चोरी के दो बड़े तरीके सामने आए —
     क्लैंडेस्टाइन सप्लाई: माल की ढुलाई तो होती थी, लेकिन टैक्स इनवॉइस नहीं बनता था।
      लो-वैल्यू इनवॉइस: ₹18 लाख की खेप का बिल मात्र ₹7.36 लाख में बनाकर टैक्स घटाया जाता था।

डीजीजीआई का निष्कर्ष:

    मीना काशी मेटल इंडस्ट्रीज (झांसी) पर ₹32.56 करोड़ की देनदारी,

     सागर यूनिट पर ₹14.79 करोड़ का जुर्माना,

     कामधेनु लिमिटेड व अन्य 17 फर्मों पर लगभग ₹48 करोड़ की देनदारी तय की गई है।
 कुल मिलाकर ₹94 करोड़ की टैक्स और पेनाल्टी वसूली का नोटिस जारी हुआ है।

डीजीजीआई ने सभी फर्मों से जवाब तलब किया है। यदि संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं मिला तो सीजीएसटी अधिनियम की धारा 74(1) के तहत वसूली और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी।

अधिकारियों का कहना है कि यह मामला उत्तर भारत में सबसे बड़ी औद्योगिक टैक्स चोरी जांचों में से एक है और इससे जुड़े नेटवर्क पर निगरानी जारी है।

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